Bhopal Hospital Fire: मध्य प्रदेश के भोपाल में कमला नेहरु अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में सोमवार रात आग लगने से कम से कम चार बच्चों की मौत हो गई. प्रदेश सरकार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सवाल है कि अक्सर इतनी बड़ी घटनाएं कैसे हो जाती है. सवाल ये भी कि अस्पताल में इतनी बड़ी घटना के लिए गुनहगार किसे माना जाए?
किसकी लापरवाही से गई चार मासूमों की जान?
जिस राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में जिंदगी बचाने के लिए बच्चों को रखा गया था वहां आखिर इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे? आखिर इतना बड़ा हादसा किसकी लापरवाही की वजह से हुआ. बताया जाता है कि करीब दो वेंटिलेटर में आग लग गई और किसी ने देखा तक नहीं. क्या अस्पताल इसके लिए जिम्मेदार नहीं है? क्या इन सुरक्षा मानकों की जांच के लिए अस्पताल में कर्मचारी नहीं रखे गए हैं? अगर इसके लिए कर्मचारी हैं तो वो काफी लापरवाह हैं? क्या डॉक्टर या फिर मेडिकल स्टाफ उस वक्त वहां मौजूद नहीं थे. अगर तत्परता दिखाई जाती तो शायद चार मासूमों की जिंदगी बच सकती थी.
अस्पताल के आईसीयू वॉर्ड के तीसरी मंजिल में ये बच्चे रखे गए थे. आग बुझाने के लिए दमकल की करीब 10 गाड़ियां मौके पर पहुंची थी. लेकिन सवाल है कि दमकल विभाग को कितनी जल्दी सूचना दी गई थी. सवाल ये भी कि दमकल विभाग की गाड़ियां सूचना मिलने के कितनी देर बाद अस्पताल पहुंची? आग लगने की वजह भले ही शॉट सर्किट बताई जा रही हो लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि इन मासूमों की हत्या की गई. लापरवाही ने चार परिवारों की खुशियां छीन ली. आखिर ये लापरवाही किसकी मानी जाए. अस्पताल प्रशासन की, वहां के कर्मचारियों की या फिर सरकारी तंत्र की.
राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हो सकता है कि आग शार्ट सर्किट के कारण लगी हो. उन्होंने वार्ड के अंदर की स्थिति बहुत डरावनी बतायी. फिलहाल बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ितों के परिवार को चार-चार लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. घटना की उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं. अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा) मोहम्मद सुलेमान जांच करेंगे. लेकिन सवाल है कि मुआवजे के मरहम से परिवारों का जख्म भर पाएगा. जांच हो भी जाएगी तो क्या दोषी को सजा मिल पाएगी? क्या जिन घरों में बच्चों की किलकारियां गूंजी थी उस घर के सन्नाटे को सरकार य़ा फिर अस्पताल प्रशासन दूर कर पाएगा?