कौन हैं भगवान जगन्नाथ के मुसलमान भक्त आफ़ताब हुसैन, घर में होती है रामायण पर चर्चा और पूजा
इस्लाम में वैसे तो मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं है लेकिन जिनके दिल ही काबा और काशी हो वो अपने नियम खुद तय करते हैं. आफ़ताब के घर में भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा होती है.
नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी में भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथ यात्रा शुरू हो गई. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता की उपस्थिति के बिना सीमित तरीके से इसे आयोजित करने के निर्देश के बाद वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई. पुजारियों ने भोर में 'मंगल आरती' का आयोजन किया. शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई.
इस बार जब कोरोना काल को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर रोक लगाई थी तो हजारों-लाखों भक्तों ने इसपर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की अनुमति दें.
जिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में रथ यात्रा के पक्ष में याचिकाएं डाली उनमें सर्वाधिक सुर्ख़ियां भगवान जगन्नाथ के मुसलमान भक्त आफ़ताब हुसैन ने ने बटोरी. आफ़ताब हुसैन का मज़हब तो इस्लाम है लेकिन वह भगवान जगन्नाथ में गहरी आस्था रखते हैं.
आफ़ताब हुसैन उन लोगों में से है जिन्होंने SC में याचिका दायर कर रथ यात्रा पर रोक हटाने की मांग की थी. आफ़ताब हुसैन तभी से चर्चा में आ गए. एक मुसलमान भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर से रोक हटाने की गुहार लगाए यह सिर्फ भारत जैसे देश में ही देखने को मिल सकता है.
आफ़ताब हुसैन की शिक्षा और उनका परिवार
आफ़ताब हुसैन की उम्र 19 साल है और वह काफी पढ़े-लिखे नौजवान हैं. आफ़ताब हुसैन फिलहाल नयागढ़ ऑटोनोमस कॉलेज में इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रहे हैं.
उनके परिवार की बात करें तो उनके परिवार में उनकी अम्मी रशीदा बेगम, अब्बू इमदाद हुसैन और छोटा भाई अनमेल रहता है. आफ़ताब हुसैन अपने परिवार के साथ ईटामाटी गांव में रहते हैं.
रामायण की होती थी घर में चर्चा
आफ़ताब के घर में गंगा-जमुनी तहजीब की नींव बहुत पहले ही पड़ चुकी थी. उनके नाना मुलताब खान रामायण समेत कई दूसरे हिन्दू ग्रंथ की चर्चा घर में अक्सर किया करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने एक मंदिर की प्रतिष्ठा भी करवाई थी.
घर में भी भगवान जगन्नाथ की पूजा होती है
इस्लाम में वैसे तो मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं है लेकिन जिनके दिल ही काबा और काशी हो वो अपने नियम खुद तय करते हैं. आफ़ताब के घर में भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा होती है. वह जगन्नाथ संस्कृति से जुड़े अनेक पुस्तकों का अध्ययन कर चुके हैं.
एक मुस्लमान होकर कैसे वह मुर्ति पूजा कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब में आफ़ताब हुसैन कहते हैं कि वह सबसे पहले एक उड़िया हैं और भगवान जगन्नाथ ओडीशा के गण देवता इसलिए उनको जगन्नाथ की पूजा करने में कोई दिक्कत नहीं नज़र आती. वह तो यहां तक कहते हैं कि वह कभी मंदिर तो नहीं गए क्योंकि उनके मजहब में इसकी अनुमति नहीं है लेकिन वह अपने घर में जगन्नाथ जी की पूजा हमेशा करते हैं.