असली शिवसेना कौन? उद्धव गुट को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा- शिंदे गुट की अर्जी पर अभी न लें फैसला
Shiv Sena vs Eknath Shinde: आज की सुनवाई के दौरान शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे अपनी तरफ से प्रस्तावित सुनवाई के बिंदु रख रहे हैं.
Shiv Sena vs Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के अलग होने के बाद शिवसेना (Shiv Sena) को नियंत्रण को लेकर दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई जारी है. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए उद्धव गुट को राहत दी है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वे शिंदे गुट की अर्जी पर फिलहाल कोई फैसला न ले. अब इस मामले पर सोमवार को अगली सुनवाई होगी.
उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत
इससे पहले, बुधवार को भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई थी जहां दोनों गुटों ने अपना पक्ष रखा था. मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपने के संबंध में फैसला लिया जाएगा. दोनों पक्षों के लिखित तर्कों का सत्यापन किया जाएगा. सुनवाई के दौरान शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे अपनी तरफ से प्रस्तावित सुनवाई के बिंदुओं को रखा. साल्वे अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने के तरीके को लेकर सिलसिलेवार तरीके से चीजें रखी.
CJI ने पूछा कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता? वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है? इसके जवाब में शिंदे समूह के वकील साल्वे ने कहा कि जब तक विधायक पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है. वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वह वोट वैध्य होगा.
साल्वे ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि पार्टी का नियंत्रण नहीं होता. यह कह रहा हूँ कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है. सिर्फ पार्टी के अंदर अपनी आवाज़ उठाई है. वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला संविधान पीठ को मत भेजें. हम (मैं और सिंघवी) 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं.
सिब्बल ने शिंदे गुट के दावे पर उठाए सवाल
सिब्बल ने सवाल किया कि जो अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं? इसके जवाब में चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं. विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है. हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं.
चुनाव आयोग में दोनों पक्षों के हलफनामा देने की तारीख 8 अगस्त है. अगर कोई पक्ष उससे फैसला टालने का अनुरोध करता है, तो वह उस पर विचार करें. हम संविधान पीठ में मसला भेजने पर विचार करेंगे. सोमवार तक निर्णय लेंगे.
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