Sengol: उत्तर प्रदेश के लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी सांसद आरके चौधरी ने संसद में सेंगोल का मुद्दा छेड़ दिया. इस पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है. इसको लेकर प्रोफेसर डॉ. रमादेवी का कहना है कि 'सेंगोल' 'धर्म' (कर्तव्य) के उत्थान का प्रतिनिधित्व करता है. इसे 'राज गुरु' या पुजारी की ओर से राजा को सौंपा जाता है.


न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी के सेंगोल पर दिए गए बयान पर श्री शंकरलाल सुंदरबाई शासुन जैन कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. रमादेवी का कहना है कि 'सेंगोल' 'धर्म' (कर्तव्य) के उत्थान का प्रतिनिधित्व करता है. इसे 'राज गुरु' या पुजारी की ओर से राजा को सौंपा जाता है. जहां पर 'दंड' का मतलब दंड नहीं बल्कि धर्म (कर्तव्य) का उत्थान है.


जानिए कौंन हैं डॉक्टर रमादेवी?


डॉ. रमादेवी चेन्नई में स्थित श्री शंकरलाल सुंदरबाई शासुन जैन कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं. आज उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि सेंगोल तमिल संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है और हम इसे अपनी संसद में देखना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के तौर पर मेरा यह अनुरोध है कि 'सेंगोल' को संसद से न हटाया जाए.






जानिए सेंगोल को लेकर क्या बोले थे सपा सांसद?


समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में 'सेंगोल' स्थापित किया. उन्होंने कहा कि 'सेंगोल' का मतलब 'राज-दंड' होता है. इसका मतलब 'राजा का डंडा' भी होता है. सपा सांसद चौधरी ने आगे कहा कि रियासती व्यवस्था को खत्म करने के बाद देश आजाद हुआ. ऐसे में देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाया जाए.


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