नीतीश कुमार को किसने बनाया 9वीं बार सीएम, कैसे लालू का गेम हुआ चौपट?
Bihar Political Scenario: बिहार में एक बार फिर सत्ता बदल गई, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा वही है नीतीश कुमार. जिन्होंने आरजेडी से मुंह मोड़कर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से हाथ मिला लिया.
Bihar Politics: बिहार में बीते तीन दिनों से चल रहे सियासी ड्रामे पर रविवार (28 जनवरी) को विराम लग गया. नीतीश कुमार एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए में शामिल हो गए और 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली. इससे पहले नीतीश कुमार ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंपा.
इस पर नीतीश कुमार की सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अभी खेल शुरू हुआ है, खेला तो अभी बाकी है. इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को लेकर एक बड़ा दावा करते हुए कहा, “मैं जो कहता हूं, वो करता हूं. आप लिखकर ले लीजिए, जनता दल यूनाइटेड जो पार्टी है, वो 2024 में ही खत्म हो जाएगी.”
नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी की वजह?
ये दूसरी बार है जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ एनडीए का हाथ थामा है. इससे पहले साल 2015 में जेडीयू और आरजेडी ने साथ में मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था और बहुमत हासिल करके सरकार बनाई थी. उस वक्त ये साल 2017 में टूट गया था. इसके बाद साल 2022 में दोनों ने मिलकर सरकार बनाई लेकिन अब नीतीश कुमार फिर एनडीए में शामिल हो गए. इस बार दोनों का साथ 17 महीने तक रहा.
नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने को लेकर पहले भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती रहीं और मौजूदा घटनाक्रम को लेकर भी आ रही हैं. मशहूर राजनीतिक रणनीतिकार और बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे प्रशांत किशोर तो कई बार नीतीश कुमार को निशाने पर ले चुके हैं. इस बार भी उन्होंने कहा कि वो पलटूराम के सरदार हैं और जो लोग कह रहे थे कि नीतीश कुमार के लिए बिहार में दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं वो भी पलटूराम हैं.
इससे पहले भी पीके ने कहा था कि नीतीश कुमार का कोई भरोसा नहीं कब पलटी मार जाएं. इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार की एक बार फिर एनडीए में शामिल होन की भविष्यवाणी भी की थी. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार राजनीति के एक माहिर खिलाड़ी हैं और उन्होंने अपने एनडीए में शामिल होने का विकल्प छोड़ रखा है. प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार को बिहार का एक व्यक्ति एनडीए में लेकर आ सकता है जो इस समय संवैधानिक पद पर है. हालांकि उन्होंने नाम का खुलासा नहीं किया था.
लालू यादव का खेल कैसे हुआ चौपट?
वहीं, नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के खेल को भी चौपट कर दिया. आरजेडी प्रमुख जेडीयू प्रमुख की किसी भी चाल को मात देने के लिए तैयार बैठे थे. लालू यादव ने अपनी पार्टी के विधायकों से कुछ दिन के लिए पटना में बने रहने और अपना फोन बंद रखने के लिए कहा था. साथ ही आरजेडी की तरफ से कोई भी अंतिम फैसला लेने के लिए लालू यादव को अधिकृत किया गया था.
इस घटनाक्रम के बीच लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को कई बार फोन मिलाया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. दरअसल, बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 122 है. मौजूदा वक्त में जेडीयू के पास 45 विधायक, आरजेडी के पास 79 विधायक हैं और बीजेपी के पास इससे एक कम 78 विधायक हैं. ऐसे में अगर आंकड़ों को देखा जाए तो नीतीश कुमार जिस पाले में हैं उसी पाले की सरकार बन जाती है.