WHO on Monkeypox : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि यह देखने के लिए स्टडी जारी है कि क्या मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus)में जेनेटिक म्यूटेशन डिजीज इस वारस को तेजी से बढ़ा रहे हैं. दरअसल, वायरस के दो अलग-अलग ग्रुप या वेरिएंट्स को मध्य अफ्रीकी कांगो बेसिन और पश्चिम अफ्रीकी क्लैड कहा जाता था.
वहीं, जगह को लेकर कोई गलत धारणा बने इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इनके नाम बदलकर वायरस के वेरिएंट के लिए क्लैड IIA और क्लैड IIB नया नाम दिया है, जिनमें से क्लैड IIB साल 2022 में फैले वेरिएंट का मुख्य समूह है. दरअसल, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक किसी भी बीमारी और वायरस के रूपों को ऐसे नाम दिए जाने चाहिए जो किसी भी सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, पेशेवर या जातीय समूहों के लिए गलत धारणा न बनाएं.
म्यूटेशन को लेकर रिसर्च
क्लैड IIB में 1970 के दशक में और 2017 के बाद से एकत्र किए गए वायरस शामिल हैं. डब्ल्यूएचओ ने बताया, "जीनोम को देखते हुए यह जरूर पता लगाया गया है कि मौजूदा प्रकोप और पुराने क्लैड IIb वायरस के वायरस के बीच कुछ अंतर हैं. हालांकि, इन जेनेटिक बदलाव के महत्व के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है.
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि ह्यूमन इम्यून रिस्पॉन्स के साथ वायरस कैसे संपर्क करता है, इसके पीछे म्यूटेशन का क्या मतलब है इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है. स्थानिक अफ्रीकी देशों के बाहर मई की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी. वहीं, डब्ल्यूएचओ ने 23 जुलाई को इस महामारी को एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Health Emergency) घोषित कर दिया था.
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