नई दिल्लीः 15 दिसंबर रविवार की शाम दिल्ली के जामिया इलाके में डीटीसी की बसें जलाई गई. ये बसें सार्वजनिक संपत्ति हैं और बात जब सार्वजनिक संपत्ति की होती है तो उस पर हर किसी का हक होता है और उसी सार्वजनिक संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया. सवाल ये था कि इन बसों में आग लगाने वाले कौन लोग हैं? और इस आग के पीछे उनकी मंशा किनको नुकसान पहुंचाने की है.



असल में दिल्ली के जामिया इलाके में छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ शुक्रवार को ही आंदोलन शुरू किया था. उस दिन पुलिस और छात्रों में हल्की नोंकझोंक भी हुई थी लेकिन बात बढ़ती गई और धीरे धीरे इस छात्रों के इस प्रदर्शन में ऐसे लोग भी शामिल हो गये जिन्हें उपद्रवी कहा जाता है.जामिया की वीसी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि हिंसा वाली प्रदर्शन का कॉल तो स्थानीय लोगों ने दिया था.



दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कुछ तस्वीरें पोस्ट की और दावा किया कि दिल्ली पुलिस बसों में आग लगा रही है. जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि पुलिस वाले आग बुझा रहे थे और जो लोग पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं वो गलत कह रहे हैं.


एबीपी न्यूज की पड़ताल
एबीपी न्यूज़ ने भी मनीष सिसोदिया के पोस्ट किये गये वीडियो की पड़ताल की है जिसमें ये बात सामने आई है कि पुलिस बस में लगी आग को सिर्फ बुझा रही है न कि पुलिस ने उस आग को लगाया. यानी पुलिस के खिलाफ जो दावे किये जा रहे हैं वो सरासर गलत हैं.


इसका साफ मतलब है कि छात्रों को कहीं न कहीं गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. छात्रों को पढाई पर ध्यान देने की बजाए उन्हें पत्थर बरसाने के लिए उकसाया जा रहा है. एबीपी न्यूज की तहकीकात में सच सामने आया कि जुलैना चौक पर खड़ी बस में पुलिस आग लगा नहीं रही थी, पानी डालकर बुझा रही थी.