कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सोमवार को यह दावा कर राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी कि कर्नाटक में प्रचंड बहुमत के बावजूद कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही हैं. दरअसल शिवकुमार से मीडिया ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के प्रयासों की अटकलों के बारे में सवाल किया था. जिसके जवाब में उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात की जानकारी है कि कुछ लोग हमारी सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने इस बार बेंगलुरु के बजाय सिंगापुर में मीटिंग करने का विकल्प चुना है."


जब उनसे विस्तार में बताने के लिए कहा गया कि तो शिवकुमार ने कहा, "मुझे जो जानकारी मिली है उसके हिसाब से कुछ बीजेपी और जेडीएस नेता एक समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं. वे बेंगलुरु और दिल्ली में बैठक करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर सके. अब सिंगापुर के लिए टिकट बुक हो चुका है.'


इसके अलावा शिवकुमार ने कथित तौर पर रविवार को राजराजेश्वरी नगर निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम में "सिंगापुर बैठक" के बारे में बात की, जहां अन्य दलों के पदाधिकारी भी मौजूद थे. शनिवार को भी शिवकुमार ने दो बार यह मुद्दा उठाया था.


बीजेपी ने इस आरोप पर क्या कहा


वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा, 'कांग्रेस ये सभी दावे मीडिया और जनता का ध्यान एमएलसी बीके हरिप्रसाद की नाराजगी से हटाने के लिए कर रही है. प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा, 'कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए किसी बाहरी व्यक्ति की जरूरत नहीं है.'


बीजेपी विधायक ने यह टिप्पणी कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी कलह की ओर इशारा करते हुए किया है. दरअसल हाल ही में कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर तंज कसा है. कर्नाटक कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर नाराज हरिप्रसाद ने कहा था कि मैं अच्छे से जानता हूं कि 'सीएम कैसे बनाना है और कैसे गिराना है.'


हरिप्रसाद के इस बयान के बाद सिद्धारमैया के समर्थक और कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के सचिव वरुणा महेश ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ बोलने के लिए हरिप्रसाद को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए.


क्या कांग्रेस में चल रहा है आपसी कलह


बीजेपी के इस दावे के बाद सवाल उठने लगा कि क्या सरकार बनाने के दो महीने के भीतर ही पार्टी के भीतर मतभेद होने शुरू हो गए हैं. इसके जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर किसी तरह का कोई असंतोष नहीं है.


शिवकुमार का सिंगापुर वाला बयान भी ऐसे समय में आया है, जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि 30 से ज्यादा विधायकों ने पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों का कार्यान्वयन न होने पर चिंता व्यक्त की है.


विधायकों के पत्र लिखने के दावे पर सीएम ने क्या कहा


सिद्धारमैया और शिवकुमार ने कहा कि पार्टी के विधायकों में काम को लेकर किसी तरह की चिंता की कोई शिकायत नहीं आई है. सिद्धारमैया और शिवकुमार ने कहा कि सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों पर चर्चा करने और सरकार और पार्टी विधायकों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में गुरुवार (27 जुलाई) को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है. उन्होंने कहा कि यह बैठक पिछले सप्ताह ही बुलाई गई थी, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले थे, इसलिए इसे स्थगित कर दिया गया था.


उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने क्या कहा
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ कार्यक्रम हैं, जिन पर चर्चा होनी थी, विधानसभा सत्र था. हमारी पांच गारंटी योजनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं या नहीं, कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं हो रहा है, इन सबके संबंध में हमें अपने विधायकों को चर्चा करनी थी, मार्गदर्शन देना था और जानकारी देनी थी. विधानसभा सत्र के दौरान समय नहीं मिलने के कारण इन सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जा सकी थी.''


BJP-JDS ने कुछ दिन पहले क्यों कहा था कि कर्नाटक में बदलाव होगा


महाराष्ट्र में एनसीपी के टूटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दावा किया कर्नाटक में एक महीने के भीतर महाराष्ट्र की तरह ही बड़ा उलटफेर होगा. पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने भी अपने एक बयान में कहा था कि कर्नाटक में कुछ भी हो सकता है. दोनों नेताओं के इस बयान ने खलबली मचा कर रख दी थी.  


क्या जेडीएस और बीजेपी मिलकर सरकार गिरा सकते हैं


224 विधानसभा सदस्यों वाले राज्य कर्नाटक में बहुमत का आंकड़ा 113 का है. इस वक्त प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के 66 और जेडीएस के 19 विधायक हैं. इन दोनों को मिलकर भी सिर्फ 85 के आंकड़े तक पहुंचेंगे. यह आंकड़ा बहुमत से यानी 113 का बहुत कम है. ऐसे में बीजेपी और जेडीएस गठबंधन कर भी लेते हैं तो कांग्रेस की सरकार नहीं गिर सकती है.  


बहुमत नहीं फिर भी क्यों सरकार गिरने की बात?


कुमारस्वामी और येदियुरप्पा का मानना है कि एनसीपी की तरह ही कांग्रेस में फूट पड़ चुकी है और अगर ऐसा कुछ होता है तो कर्नाटक में भी सियासी उलटफेर संभव है.  
कर्नाटक में वर्तमान में कांग्रेस के पास 135 विधायक हैं.


इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक ने भी पार्टी को अपना समर्थन दिया हुआ है. इस राज्य में सरकार गिराने के लिए किसी भी पार्टी के पास 113 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है. जिसका मतलब कांग्रेस के पास अभी बहुमत के आंकड़े से 23 सीटें ज्यादा है. अगर महाराष्ट्र ही तरह ही कर्नाटक में स्थिति बनने की बात होती है तो में कम से कम 90 विधायकों को बागी खेमे में जाना होगा. तभी बागी गुट के विधायक दल-बदल कानून से बच पाएंगे.