लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में 20 जवानों की शहादत पर पूरे देश में उबाल है. शहीद 20 जवानों में कर्नल रैंक के एक अधिकारी भी थे. जिनकी पहचान कर्नल संतोष बाबू के रूप में हुई है.


तेलंगाना निवासी संतोष बाबू बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे. संतोष बाबू का संबंध तेलंगाना के सूर्यापेट से था. परिवार में माता-पिता के अलावा दो बच्चे और पत्नी हैं. उनकी पत्नी अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ दिल्ली में रहती हैं. संतोष बाबू के पिता रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं. शहादत से पहले संतोष बाबू की पोस्टिंग हैदराबाद जल्द होनेवाली थी. एक अधिकारी का कहना है कि संतोष बाबू अपने अधीनस्थों का बहुत ख्याल रखते थे.


संतोष बाबू की पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी


संतोष बाबू भारतीय सेना में 2004 में शामिल हुए. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी. रविवार को उन्होंने अपनी मां से फोन पर बात की थी. दोनों के बीच बातचीत का ज्यादातर हिस्सा लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के इर्द गिर्द रहा. अंतिम संस्कार के लिए शहीद संतोष बाबू का शव बुधवार को सड़क मार्ग से पैतृक आवास लाया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा. उनकी पत्नी और बच्चे दिल्ली से हैदराबाद पहुंच चुके हैं. संतोष बाबू की शहादत पर उनके माता-पिता को गर्व है.


पिता की प्रेरणा से भारतीय सेना में हुए थे शामिल


उनके पिता ने एक अखबार से बात करते हुए बताया था कि उनकी प्रेरणा से संतोष ने सेना में शामिल होने का फैसला किया. उन्होंने आंध्र प्रदेश के सैनिक स्कूल से तालीम हासिल कर NDA और फिर IMA का रुख किया. 15 वर्ष के सेवाकाल में संतोष बाबू को चार प्रमोशन मिले. कुपवाड़ा में आतकंवादियों से बहादुरी के साथ मुकाबला करने पर सेना प्रमुख की तरफ से  उनको सराहना भी मिली थी. संतोष बाबू के पिता को देश की खातिर जान न्योछावर करनेवाले बेटे की वीरगति पर गर्व है.


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