उत्तराखंड की कमान किसके हाथों में सौंपी जाएगी? पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दावेदारी पर दिया ये बयान
रावत ने कहा कि ये सब जानते हैं कि हमारे यहां विधानमंडल दल की ओर से ही नेतृत्व का चुनाव होता है, इसलिए मुझे लगता है कि सब लोग जानकार हैं, उनको पता है कि दौड़ने-भागने से कुछ हासिल होता नहीं है.

उत्तराखंड के कई नेता दिल्ली में चक्कर लगा रहे हैं, इस सवाल के जवाब में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चुनाव के बाद अब समय मिला है, तो लोग दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन ये सब जानते हैं कि हमारे यहां विधानमंडल दल की ओर से ही नेतृत्व का चुनाव होता है, इसलिए मुझे लगता है कि सब लोग जानकार हैं, उनको पता है कि दौड़ने-भागने से कुछ हासिल होता नहीं है.
'बीजेपी की सरकार ने 5 साल काम किया है'
4 साल आप भी मुख्यमंत्री रहे आपके कार्यों और आपको इस समय इग्नोर क्यों किया जा रहा है, आपको अलग-थलग क्यों रखा जा रहा है? इसके जवाब में त्रिवेंद्र सिंह रावत बताते हैं कि इसे इग्नोरेंस नहीं मानना चाहिए, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने 5 साल काम किया है, तो तीन महीने का छोड़ दिया जाए, आचार संहिता लगने के बाद के समय फिर भी लगभग 5 साल से कम का समय होता है, सब जानते हैं कि जो काम करने का समय होता है, वो चार साढ़े 4 साल का समय होता है, उसके बाद तो चुनाव की गिनती शुरू हो जाती है, चुनाव का हिसाब लगना शुरू हो जाता है.
'योग्य लोगों की बीजेपी के पास कमी नहीं'
आगे उन्होंने कहा कि इसलिए जो भी उपलब्धियां हैं, जिनके बल पर हमलोग जनता के बीच गए हैं वह पूरे 5 साल के हैं, चाहे अटल आयुष्मान योजना हो, महिलाओं के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाएं हों, ये सब पूरे 5 साल में हुए हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी में अनेक लोग ऐसे हैं, जो इस योग्य हैं कि वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं. योग्य लोगों की बीजेपी के पास कोई कमी नहीं है, अच्छी बात है, अगर 5-10 दावेदार हैं, तो इसमें बुराई कहां से है.
'20 मार्च को विधानमंडल दल की बैठक हो सकती है'
विधानमंडल दल की बैठक कब होनी है, इस सवाल के जवाब में त्रिवेंद्र सिंह रावत बताते हैं कि हमारे यहां होली होती है, उससे पहले का जो समय होता है, उसको अच्छा नहीं माना जाता है, उसे होलाष्टक कहते हैं और इस बार संयोग ऐसा है कि 19 मार्च को भी होली का समय जा रहा है. इसके चलते 19 मार्च को भी होली खेली जाएगी. हमारे कुमाऊं मंडल में इस वजह से यह हो सकता है कि 19 मार्च की जगह 20 मार्च को विधानमंडल दल की बैठक हो जाए. मुझे लगता है कि 20 मार्च तक सब कुछ हो जाना चाहिए, क्योंकि बजट सत्र भी होना है. अगले साल का बजट भी सरकार प्रस्तुत करेगी, उसका पालन करेगी, इसमें भी 5-7 दिन का समय चाहिए होता है.
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