Next BJP In charge Row: इंतजार हो रहा है उस चेहरे का, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान संभालनी है. मार्च के ही महीने में ये सामने भी आ जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा. सूत्र बता रहे हैं कि इसपर फैसले का अधिकार RSS ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंप दिया है. मतलब ये कि जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी का फैसला पीएम मोदी करेंगे, लेकिन समीकरण ऐसे बन रहे हैं कि एक बार फिर बीजेपी की कमान, किसी ब्राह्मण चेहरे के हाथ में जा सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि टॉप लीडरशिप अब ओबीसी समुदाय से है, लिहाजा पार्टी और RSS की सहमति इस बात पर है कि संगठन के नेतृत्व की कमान किसी ब्राह्मण नेता को मिले. ऐसे में दावा किसका मजबूत दिख रहा है, यहां समझने की कोशिश करते हैं.
एबीपी न्यूज के पास अध्यक्ष पद को लेकर दो तरह की सूचना है. अध्यक्ष की रेस में 5 पुरुषों के साथ ही 2 महिलाओं के नाम की जानकारी है. कुल मिलाकर रेस में 7 लोग हैं. सवाल ये है कि पीएम इन्हीं सात में से किसी एक पर मुहर लगाएंगे या फिर कोई आठवां नाम डार्क हॉर्स साबित होगा. सूत्रों की मानें तो बीजेपी में अध्यक्ष पद को लेकर अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक दक्षिण भारत से ही किसी नेता का नाम फाइनल हो सकता है. अब इसमें कोई महिला होगी या कोई पुरुष होगा इसका सस्पेंस बना हुआ है.
अध्यक्ष की इस रेस में दक्षिण भारत से जो नाम अब तक रेस में हैं उसमें
- केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी
- केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी
- महिला बीजेपी की अध्यक्ष वानती श्रीनिवासन
- आंध्र बीजेपी अध्यक्ष पुरंदेश्वरी
किसी ब्राह्मण को ही अध्यक्ष बना सकती है पार्टी
यानी दक्षिण भारत से आने वाले दो पुरुष और दो महिलाएं रेस में दिख रही हैं. अब इसमें एक और थ्योरी ये सामने आ रही है कि चूंकि पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा ब्राह्मण समाज से आते हैं, लिहाजा बीजेपी उनकी जगह किसी ब्राह्मण को ही अध्यक्ष बना सकती है. ऐसे में साउथ और ब्राह्मण का जो कॉम्बिनेशन है, उसमें प्रह्लाद जोशी सबसे सटीक नाम नजर आ रहा है. कर्नाटक के रहने वाले प्रह्लाद जोशी 2004 से बीजेपी के सांसद हैं. 63 साल के प्रह्लाद 1992 में तिरंगा आंदोलन के जरिये राजनीति में आए. कश्मीर बचाओ आंदोलन की मुहिम चलाकर कर्नाटक में अपनी पहचान बनाई.
- प्रह्लाद जोशी अभी केंद्र में खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं
- 5 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं
- धारवाड़ जिला बीजेपी का अध्यक्ष रह चुके हैं
- कर्नाटक में 4 साल पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं
चुनावी रणनीति बनाने के माहिर माने जाते हैं जोशी
प्रह्लाद जोशी बोलने में माहिर माने जाते हैं. अपने शब्दों के जरिये बड़ी सी बड़ी सियासत को साध लेते हैं. प्रह्लाद जोशी मीडिया की लाइमलाइट से खुद को दूर रखते हैं. बड़ी बात ये है कि चुनावी रणनीति बनाने के माहिर माने जाते हैं. 2023 में बीजेपी ने प्रह्लाद जोशी को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया था. अपनी रणनीति से जोशी ने गहलोत के गढ़ को भेद दिया था. पॉलिटिकल पंडित मानकर चल रहे थे कि गहलोत रिपीट होंगे, लेकिन जोशी की रणनीति का ही कमाल था कि बीजेपी ने राजस्थान में बाजी मारी.
राजस्थान और उत्तराखंड में दिलाई थी जीत
प्रह्लाद जोशी राजस्थान से पहले उत्तराखंड के भी प्रभारी थी. 2022 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें जीत की जिम्मेदारी सौंपी थी. प्रह्लाद ने अपनी रणनीति से रिजल्ट रिपीट करवाया था. प्रह्लाद जोशी आरएसएस के रास्ते से बीजेपी में आए नेता हैं. अब आपके मन में सवाल होगा कि बीजेपी किसी ब्राह्नण को क्यों अध्यक्ष बनाना चाहती है? माना जा रहा है कि पीएम अगर प्रह्लाद जोशी के नाम पर मुहर लगाते हैं तो आरएसएस भी बिना किसी इफ बट के इनके नाम को मंजूरी दे देगा.
पीएम मोदी जी किशन रेड्डी को भी सौंप सकते हैं कमान
अब अगर प्रधानमंत्री ने चौंकाया तो फिर जी किशन रेड्डी के नाम पर भी वो मुहर लगा सकते हैं. रेड्डी अभी केंद्र में कोयला मंत्री हैं. तेलंगाना में बीजेपी के अध्यक्ष हैं. पीएम के भरोसेमंद माने जाते हैं. साल 1994 की बात है, तब नरेंद्र मोदी न सीएम थे न पीएम. पहली बार अमेरिका गये थे. उनके साथ इस दौरे में जी किशन रेड्डी भी थे. रेड्डी बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं. संयुक्त आंध्र में भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. तेलंगाना में बीजेपी के हार्ड लाइनर हिंदुत्ववादी नेता माने जाते हैं. जी किशन रेड्डी ब्राह्मण जाति से भले नहीं हैं, लेकिन तेलंगाना में इनकी जाति अपर कास्ट में आती है.
पुरंदेश्वरी और वनती श्रीनिवासन में से कौन?
जहां तक महिलाओं में से अध्यक्ष के चुनने का सवाल है तो फिर पुरंदेश्वरी रेस में बहुत आगे नहीं दिख रहीं. प्रधानमंत्री अगर महिला में किसी को अध्यक्ष बनाने का मन बनाते हैं तो फिर महिला बीजेपी अध्यक्ष वनती श्रीनिवासन पर दांव लगा सकते हैं. वनती श्रीनिवासन भी तमिल ब्राह्मण हैं और तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी वनती को अध्यक्ष बनाकर न सिर्फ दक्षिण को साधने की कोशिश कर सकती है, बल्कि ब्राह्मण और महिलाओं को भी संदेश दे सकती हैं
अटल बिहारी वाजपेयी के पीएम रहते बने थे तीन अध्यक्ष
अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के पीएम थे उस वक्त साल 2000 से 2004 के बीच पार्टी ने दक्षिण भारत से आने वाले तीन अध्यक्ष बनाए थे.
- तेलंगाना के बंगारू लक्ष्मण
- तमिलनाडु के जना कृष्णमूर्ति
- आंध्र के वेंकैया नायडू
अब 20 साल बाद बीजेपी एक बार फिर दक्षिण भारत से अध्यक्ष बनाने पर विचार कर रही है. उत्तर में कमल खिलाने के बाद बीजेपी अब दक्षिण में विस्तार चाहती है. अब नाम पर फैसला पीएम मोदी को लेना है.
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