दिल्ली: "दिल्ली देश की राजधानी है. इस पर पूरे देश का अधिकार है." दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने ये दलील दी. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा, "क्या दिल्ली सरकार को ये अधिकार दिया जा सकता है कि वो कह सके कि 26 जनवरी की परेड दिल्ली में नहीं होगी."

दरअसल, मनिंदर सिंह 5 जजों की संविधान पीठ को ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि दिल्ली की स्थिति किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से अलग है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार को शक्ति न होने की दलील गलत है. केंद्र की सरकार को भी जनता ही चुनती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत दिल्ली में केंद्र सरकार को ज़्यादा अधिकार मिले हैं.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "एलजी मंत्रिमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन मंत्रिमंडल के लिए ज़रूरी है कि वो कोई फैसला लेने से पहले और उसके बाद एलजी को जानकारी दे. उनकी मंजूरी ज़रूरी है."

आज कोर्ट ने पाया कि दिल्ली सरकार की तरफ से दलील रखने वाले 5 वरिष्ठ वकीलों की दलीलों में कुछ अंतर रहा है. कुछ वकीलों ने दिल्ली को विशेष दर्जा वाला केंद्र शासित क्षेत्र कहा, जबकि कुछ अपनी दलीलों में दिल्ली को राज्य कह कर संबोधित कर रहे थे. इसलिए, कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार लिखित में अपना पक्ष कोर्ट में जमा करवा दी.

मामले पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी.