WPI Inflation: महंगाई ने दिया आम आदमी को 'शॉक', बिगड़ा किचन का बजट, जानें क्या बोले एक्सपर्ट
WPI Inflation: ओमिक्रोन और कोरोना के खतरे के बीच जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है. थोक महंगाई दर ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. थोक महंगाई दर 14.23 फीसदी पर पहुंच गई है.
ओमिक्रोन और कोरोना के खतरे के बीच जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है. थोक महंगाई दर ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. थोक महंगाई दर 14.23 फीसदी पर पहुंच गई है. महंगाई लगातार आठवें महीने चढ़ी है और यह 10 प्रतिशत से ऊपर है. थोक महंगाई दर बढ़ने का मतलब ये है कि लागत बढ़ गई है और जिसकी मार आखिरकार जनता पर पड़नी तय है. अब तक जो महंगाई आम जनता की जेब पर चुभ रही थी अब वही महंगाई आंकड़ों में दिखाई देनी शुरू हो गई है. अब सवाल है कि लगातार महंगाई में जिंदगी कैसे चले?
आंकड़ों में समझिए फर्क
पिछले साल के नवंबर में महंगाई दर सिर्फ 4.91 फीसदी थी. जबकि अब ये 14.23 फीसदी पर पहुंच गई है. सरकार का दावा है कि इसके पीछे खाद्य महंगाई दर, रसायन के अलावा खनिज तेलों, धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों से आया उछाल है. तेल की मार इकॉनोमी पर है पर एक चौंकाने वाला आंकड़ा आया है. सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर पिछले तीन साल में 8 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. करीब-करीब आधा तो सरकार ने पिछले एक साल में कमाया है. सिर्फ वित्त वर्ष 2021 में सरकार ने 3.71 लाख करोड़ टैक्स से जुटाए हैं.
महंगाई बढ़ने के पीछे इस टैक्स का भी योगदान है. ये भी सच है कि पिछले दो साल में कोरोना के कारण लॉकडाउन से मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन पर असर पड़ा है, जिसका असर अब चीजों पर दिखाई दे रहा है. RBI का अनुमान है कि आने वाले तीन महीनों में अभी महंगाई की मार और पड़ेगी यानी अभी मुसीबत बाकी है.
पिछले आठ महीने में थोक महंगाई दर बढ़ती गई, आइए आपको दिखाते हैं:
- अप्रैल- 10.74%
- मई- 13.11%
- जून- 12.07%
- जुलाई- 11.16%
- अगस्त- 11.66%
- सितंबर- 10.66%
- अक्टूबर- 12.54%
- नवंबर -14.23%
सवाल ये है कि आखिर महंगाई बढ़ क्यों रही है? क्यों इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है? सड़क पर चलने से लेकर किचन में खाना बनाने तक, सबका खर्च बढ़ गया है. महंगाई की सबसे ज्यादा मार तो मिडिल क्लास पर पड़ रही है, क्योंकि आमदनी अठन्नी है और खर्चा रुपैया है.
महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है. गृहणियों को समझ नहीं आ रहा कि किचन का बजट वो कैसे संभालें. मुंबई की रहने वाली निशा तिवारी कह रही हैं कि किचन का बजट दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है. निशा के पति सतीश जो एक मेडिकल स्टोर के मालिक हैं, उनका कहना है कि महंगे पेट्रोल की वजह से उन्होंने गाड़ी का इस्तेमाल बहुत कम कर दिया है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में महंगाई और ज्यादा बढ़ने वाली है. बे-मौसम बरसात, ट्रांसपोर्टेशन, पेट्रोल-डीजल का महंगा होने की वजह से महंगाई और बढ़ेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले एक साल में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों में भी बड़ा फर्क आया है. राजधानी दिल्ली को उदाहरण के तौर पर देखें तो:
- पिछले साल आज के ही दिन पेट्रोल 83 रुपये 71 पैसे प्रति लीटर मिल रहा था, जबकि आज ये 95 रु. 41 पैसे प्रति लीटर है, यानी 11 रुपये 17 पैसे कीमत बढ़ चुकी है.
- डीजल 73 रु 87 पैसे प्रति लीटर मिल रहा था, आज ये 86 रुपये 67 पैसे प्रति लीटर हो चुका है यानी 12 रुपये 80 पैसे महंगा.
- पिछले साल आज के ही दिन एलपीजी यानी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 644 रुपये थी, जबकि आज इसके लिए करीब 900 रुपये देने पड़ रहे हैं. यानी एलपीजी 256 रुपये महंगी हो चुकी है.
हालांकि महंगाई से थोड़ी राहत भी मिली है, ज्यादातर सब्जियां सस्ती हो गयी हैं
- आलू पिछले साल 40 रुपये किलो मिल रहा था. अभी 24 रुपये किलो है. 16 रुपये सस्ता हुआ है.
- प्याज पिछले साल 46 रुपये किलो था, अभी 35 रुपये किलो है. 11 रुपये सस्ता हुआ है.
- हालांकि टमाटर महंगा है, पिछले साल 37 रुपये किलो था, अभी 57 रुपये किलो है. 20 रुपये महंगा हुआ है.
लेकिन सब्जियों के सस्ते होने से घर का बजट कम नहीं होगा, क्योंकि राशन का एक बड़ा हिस्सा बेहद महंगा हो चुका है. ज़ाहिर सी बात है, चुनावी मौसम चल रहा है तो इस पर सरकार से तीखे सवाल पूछे ही जाएंगे, महंगाई को मुद्दा बनाया ही जाएगा.
सरकार को भी अंदाजा है कि महंगाई पर विपक्ष उसे घेरने वाला है, लेकिन सवाल तो आम आदमी का है, क्योंकि महंगाई की मार सबसे ज्यादा उसी पर पड़ती है, घर का बजट उसी का बिगड़ता है, इसलिए सरकार को चाहिए कि महंगाई पर काबू करे जिससे आम लोग राहत की सांस ले पाएं.