'कांग्रेस पर नास्तिकों का कब्जा' किसका नाम लेकर बोले आचार्य प्रमोद कृष्णम
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वैंडर पॉलिसी को लेकर कांग्रेस में धमासान मचा हुआ है. CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विक्रमादित्य सिंह के बयान से किनारा कर लिया है.
Acharya Pramod Krishnam: हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वैंडर पॉलिसी को लेकर बवाल मचा हुआ है. स्ट्रीट वेंडर्स की आईडी को लेकर विक्रमादित्य सिंह के बयान के बाद CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार इस संबंध में कोई निर्णय फैसला नहीं लिया है.
इसी बीच पूर्व कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन वह कांग्रेस अलग थी. वह महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और पंडित जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस थी. लेकिन यह कांग्रेस सनातन विरोधियों और देश विरोधियों की है. पार्टी के ऊपर वामपंथियों ने कब्जा कर लिया है.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने जारी किया बयान
स्ट्रीट वेंडर्स की आईडी को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार ने कहा कि कि ऐसा कोई निर्देश लागू करने की उसकी योजना नहीं है. हालांकि सरकार के यू-टर्न से इस पर शुरू हुई बयानबाजी पर तत्काल लगाम लगती नहीं दिख रही.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कसा तंज
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तंज कसते हुए आगे कहा कि राहुल गांधी के आस-पास जो लोग हैं वे पार्टी को भ्रमित कर रहे हैं जिसके कारण कांग्रेस पार्टी की दुर्दशा हो रही है. कांग्रेस पार्टी में अगर कोई सच बोलता है तो उसका विरोध होता है और उसको पार्टी से बाहर कर दिया जाता है.
कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने कहा, 'पार्टी पर वामपंथियों और नास्तिक लोगों का कब्जा हो गया है. दरअसल, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने भी दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंह ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा था कि हिमाचल सरकार के इस फैसले से वह सहमत नहीं हैं.
बता दें कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासित हिमाचल सरकार में लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रेहड़ी पटरी, रेस्टोरेंट, ढाबा और फास्ट-फूड संचालकों को अपनी पहचान दिखाने का आदेश दिया, जिसको लेकर सियासत तेज है. कुछ लोग इसको उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आदेश की तरह देख रहे हैं. वहीं, विक्रमादित्य के इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नाराजगी की बात भी कही जा रही है.