नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लगा है. कल ही प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा की है. अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस 21 दिन का लॉजिक क्या है. साथ ही लोगों के दिमाग में यह भी सवाल है कि क्या ये 21 दिन इस वायरस से लड़ने के लिए काफी होगा कि नहीं.


दरअसल 21 दिनों के पीछे क्या लॉजिक है इसको लेकर एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना वायरस 14 दिन तक सक्रिय रहता है और मरीज़ में लक्षण 7 दिन में दिखने लगते है. 14 दिन यानी 7 अप्रैल तक पता चल जाएगा कि कौन बीमार है और कौन नहीं. जो बीमार है वो घर में ही रहा है तो अगले 7 दिन यानी 14 अप्रैल तक उनके परिवार के लक्षण भी दिख जाएंगे. इससे कन्यूनिटी स्प्रेड नहीं होगा.


वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एक आवश्यक कदम है, लेकिन गरीबों पर बहुत कठोर हो सकता है. हालांकि भीड़ कोरोना वायरस फैलने में मदद करती इसलिए इस तरह का लॉकडाउन बेहद जरूरी था. लॉकडाउन का उद्देश्य अगले 21 दिनों में वायरस के प्रसार को कम करना है जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों को काम यह है कि वह कोरोना संक्रमित मरीजों का पता लगाएं और रोगियों की संख्या को जितना हो सके उतना कम करें.


बता दें कि इस वक्त देश में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 536 पहुंच गई है. वहीं इसने अब तक 11 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है.