UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी का जिक्र करते हुए कहा कि एक घर में दो कानून कैसे चल सकते हैं? उन्होंने कहा कि इस मुद्दे से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है.


पीएम मोदी के इस बयान के सामने आने के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है. कांग्रेस समेत तकरीबन सभी विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश के तौर पर पेश किया है. वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी तक ने यूसीसी पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. 


इससे पहले लॉ कमीशन ने यूसीसी को लेकर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से 30 दिनों के भीतर उनके विचार मांगे थे. इन सबके बीच सबसे अहम सवाल ये है कि सियासत के 'मुसलमान'... 'एक' कानून से क्यों हैं परेशान? 


किसने क्या कहा?
एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ''केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड सिर्फ इसलिए लाना चाहते हैं कि मुस्लिम अक्लियत को उनके मजहब से उनकी मजहबी शिनाख्त को कमजोर करके रख दिया जाए. अगर कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो नहीं कर सकता. जब तक इजाजत न ले.''


ओवैसी ने कहा, ''इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रेक्ट है हिंदू में जन्म-जन्म का साथ, यूनिफॉर्म सिविल कोड की नहीं, हिंदू सिविल कोड की बात है. भारत के मुसलमान को टारगेट करना मकसद है. एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. दूसरी तरफ आपके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं,  उनकी लिंचिंग के जरिए हत्या कर रहे हैं.''


 



जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यूसीसी को लेकर कहा, ''1300 साल से पूरी दुनिया और भारत का मुसलमान जिस पर्सनल लॉ के तहत अपनी जिंदगी गुजार रहा है. हम उसे ही जरूरी समझते हैं और उसे रखना चाहिए. हम यूसीसी के खिलाफ कोई एहतजाज या सड़कों पर नहीं उतरेंगे. ये फिरकापरस्त लोगों की तरफ से ये एक सियासी मसला है. इसकी कोई वास्तविकता नहीं है.''


समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा, ''इस्लाम की मजहबी पॉलिसी अलग है. हिंदू-सिख-ईसाईयों की अलग है. सबकी पॉलिसी अलग-अलग है तो उन्हें एक जैसा कैसे किया जा सकता है.''


क्यों हो रहा है यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध?
मुस्लिम समुदाय यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देखते हैं. यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा. मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि शरीयत में महिलाओं को संरक्षण मिला हुआ है. वहीं, यूसीसी के जरिए मुसलमानों पर हिंदू रीति-रिवाज थोपने की कोशिश किए जाने का शक है.


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