Teachers Day पर दिल्ली की सड़कों पर क्यों बैठे हैं IIT-NIT से पढ़े असिस्टेंट प्रोफेसर, क्या हैं उनकी मांगें ?
Teachers Day 2021: शिक्षकों का दावा है कि उन्होंने अपने छात्रों को जी जान से पढ़ाया, लेकिन अब 3 साल खत्म होने पर कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने का डर सता रहा है.
Teachers Day 2021: आज का दिन सभी शिक्षकों को सम्मान और आभार प्रकट करने का दिन है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षकों को अपने हक के लिए सड़कों पर बैठना पड़ रहा है. दरअसल केंद्र सरकार द्वारा TEQIP(Technical Education Quality Improvement Programme of Government of India) प्रोग्राम की शुरुआत अप्रैल 2017 में की गई. जिसके अंतर्गत 1200 IIT और NIT से पढ़े विद्वान अध्यापकों को तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट पर उन जगहों पर अच्छी शिक्षा देने के लिए रखा गया, जहां तक उच्चतम स्तर की शिक्षा पहुंच नहीं पाती है. देश के 12 स्पेशल कैटगरी राज्यों (SCS) में इन सभी लोगों की नियुक्ति की गई. नियुक्ति के लिए एमटेक या पीएचडी में से एक डिग्री आईआईटी, एनआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की होना जरूरी था वहीं मेरिट लिस्ट गेट में हासिल किए अंक और इंटरव्यू के आधार पर तय किया गया.
इन सभी शिक्षकों का दावा है कि उन्होंने अपने छात्रों को जी जान से पढ़ाया, लेकिन अब 3 साल खत्म होने पर कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने का डर सता रहा है. बेरोजगारी के डर से जूझ रहे ये शिक्षक कोई समाधान तलाश रहे हैं और पिछले 12 दिनों से दिल्ली के बाराखंभा रोड पर बैठ कर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि इस प्रदर्शन के दौरान कई अध्यापक अपने छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज, डाउट क्लासेज भी देते दिखे.
एबीपी न्यूज ने शिक्षकों से खास बातचीत की और उनकी परेशानी जानने की कोशिश की. असिस्टेंट प्रोफेसर अंशुल अवस्थी कहते हैं कि आज हमारा त्यौहार है, लेकिन हम सड़क पर बैठे हैं. 2017 से ये प्रोग्राम चलाया जा रहा है. देश के अंदरूनी इलाकों में जाकर बच्चों को टेक्निकल शिक्षा देते हैं. राज्य सरकार के पास जाते हैं तो वो कहते हैं कि आप केंद्र सरकार के पास जाइए आपको वहां से सैलरी मिल रही है.
आईआईटी रायपुर से पढ़ाई करने वाली ऐसी ही एक शिक्षक अंकिता चंद्राकर कहती हैं कि हमारी 1200 टीचर्स की टीम है, जिन्होंने ऑल ओवर इंडिया बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज आयोजित की हैं. रविवार के दिन भी हम ऑनलाइन क्लासेज लेते हैं. उन्होंने कहा, "मेरे माता पिता नही हैं. मेरी मां की मृत्यु कोरोना वायरस के दौरान हो गई. मैं अपनी बहन को भी पढ़ाती हूं और अकेली कमाने वाली हूं."
झारखंड में छात्रों को पढ़ाने वाली शिक्षक निक्की कहती हैं कि हम सबकी एक ही अपील है, हमारे कॉलेज की इंप्रूवमेंट को देखें. हमें रिटेन करें. मैं नानगढ़ में पढ़ाती हूं. छात्र पहले गेट का एग्जाम देने से हिचकिताते थे, लेकिन अब उनमें आत्मविश्वास आया है.
केंद्र और राज्य सरकारों के फैसलों पर निर्भर इन सभी शिक्षकों का भविष्य अधर में लटका है और उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. जम्मू और कश्मीर में असिस्टेंट प्रोफेसर गौरव शर्मा कहते हैं कि सेंट्रल गवर्मेंट का यह प्रोजेक्ट 50 -50 % बेसिस पर था. 50 प्रतिशत राशि वर्ल्ड बैंक ने वहन किया था, 50 प्रतिशत शिक्षा मंत्रालय ने दिया. स्किल डेवलपमेंट के लिए हम पर अच्छा खासा टैक्स पेयर का खर्च व्यर्थ होता नजर आ रहा है.
AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन ) में आज शिक्षक दिवस के उपलक्ष में शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी जुड़े. अपनी मांगों को लेकर पिछले 12 दिनों से बाराखंबा रोड पर प्रदर्शन कर रहे IIT-NIT से पढ़े असिस्टेंट प्रोफेसर भी शिक्षा मंत्री से मिलकर अपील करने के लिए गुलाब का फूल और कलम लेकर पहुंचे.
इन शिक्षकों का कहना है कि 30 सितंबर के बाद भी यदि उनका कॉन्ट्रैक्ट नही बढ़ाया गया या सरकार द्वारा आश्वासन नहीं दिया गया तो भी वो इस तरह ही शांति से सरकार से अपील करते रहेंगे.
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