नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सीएम पद पर उद्धव ठाकरे का विराजमान होना तय हो गया है. मगर पेंच डिप्टी सीएम पद को लेकर है. अभी ये तय नहीं हुआ है कि डिप्टी सीएम कौन बनेगा. कांग्रेस और एनसीपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि सरकार गठन को लेकर आज एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस की बैठक हुई. जिसमें एनसीपी नेता अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाने पर मंथन किया गया. लेकिन फैसला लेने का अधिकार एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर छोड़ दिया गया.
जितने ज्यादा उपमुख्यमंत्री, उतनी ही ज्यादा स्थिरता ?
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या उपमुख्यमंत्री का पद संवैधानिक पद है ? संविधान में उपमुख्यमंत्री, उप प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई व्याख्या नहीं की गई है. बल्कि इसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर का सम्मानजनक पद बना दिया गया है. उपमुख्यमंत्री कभी राजनीतिक हित साधने के लिए बनाया जाता है तो कभी गठबंधन धर्म निभाने के लिए. राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री को रखा जाता है. जैसे तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ दो उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. जिनमें एक मुस्लिम तो दूसरा दलित चेहरा रहा है. मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि अपनी कैबिनेट में कई उपमुख्यमंत्री को रखे. इस वक्त 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री के साथ काम कर रहे हैं. आंध्रा प्रदेश में सबसे ज्यादा 5 डिप्टी सीएम को रखा गया है. जबकि कर्नाटक में डीप्टी सीएम की संख्या 3 तो गोवा और उत्तर प्रदेश में 2-2 लोगों उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.
किस-किस राज्य में हैं कौन, कितने उपमुख्यमंत्री ?
आंध्रा प्रदेश- अलानानी, अजमत पाशा शेख, के नारायण स्वामी, पिल्ली सुभाष चंद्र बोस, पुष्पशेरवानी पमुला
अरूणा प्रदेश- चाउना मेन
बिहार- सुशील कुमार मोदी
दिल्ली- मनीष सिसोदिया
गोवा- मनोहर अजगवंकर, चंद्रकांत कावलेकर
गुजरात- नीतिन भाई पटेल
हरियाणा- दुष्यंत चौटाला
कर्नाटक- सी एन अश्वत नारायण, गोविंद करजोल, लक्ष्मण सावदी
मणिपुर- ज्वॉय कुमार सिंह
मेघालय- रेस्टोन श्यांग
मिजोरम- ताउनलिया
नागालैंड- यंथुंगो पट्टो
राजस्थान- सचिन पायलट
तमिलनाडु- ओ पन्नीरसेल्वम
त्रिपुरा- जिश्नु देव वर्मा
उत्तर प्रदेश- दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य
कब से हुई डिप्टी पद की शुरूआत ?
1989 में पहली बार हरियाणा के दिग्गज नेता देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. देवीलाल के उप प्रधानमंत्री पद पीएम के तौर पर शपथ लेने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि यह पद सिर्फ नाम के लिए है और देवीलाल अन्य तमाम मंत्रियों की तरह ही होंगे। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 9 जनवरी, 1990 को टिप्पणी की थी कि देवीलाल के पास पीएम की कोई शक्ति नहीं है।
देवीलाल के उपप्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद देश में उपमुख्यमंत्री का सिलसिला शुरू हुआ. पहली बार कर्नाटक में 1992 में पूर्व विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा उपमुख्यमंत्री बने.