Farmer Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर कानून बनाए जाने समेत कई अन्य मांगों के साथ देशभर के किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. किसानों को रोकने के लिए दिल्ली की सीमा पर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं तो सीमेंट और कील की दीवारें भी खड़ी की जा रही हैं. इस तरह की तस्वीरों को देख जेहन में कई सारे सवाल आते हैं कि आखिर क्यों किसान दिल्ली की चौखट पर आने को संघर्ष कर रहे हैं और आखिर सरकार क्या चाहती है. ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब यहां जानिए-
सवाल : क्या किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च खत्म हो गया है?
जवाब : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन दिल्ली की सीमा पर जारी है. दिल्ली के पास हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर पर किसानों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार दूसरे दिन बुधवार (14 फरवरी) को भी झड़प हुई है. किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं, वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ है और लाठी चार्ज भी करना पड़ा है. इसके बाद नाराज किसानों ने ऐलान कर दिया है कि गुरुवार को भी इस हमले के खिलाफ पंजाब में रेलवे पटरियों को जाम कर दिया जाएगा.
सवाल : कितनी है दिल्ली से शंभू बॉर्डर की दूरी?
जवाब : शंभू बॉर्डर हरियाणा और पंजाब की सीमा पर है जो दिल्ली से करीब 220 किलोमीटर दूर है.
सवाल : कितने जवानों की है तैनाती?
जवाब : यहां भारी संख्या में जुटे किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. शंभू बॉर्डर पर एक किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया जा रहा है. यहां पैरामिलिट्री फोर्ट की 64 कंपनियां तैनात की गई हैं. साथ ही पुलिस की भी 50 कंपनियां तैनात हैं.
सवाल: किसानों और पुलिस के टकराव में कितने हुए घायल?
जवाब : हरियाणा के अंबाला के नजदीक स्थित शंभू बॉर्डर पर दो दिनों से किसानों और सुरक्षा बलों के बीच तकरार हो जारी है. किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की जिन्हें रोकने के क्रम में पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. किसानों ने भी पथराव किए हैं. दोनों तरफ से तनाव के बीच कुछ पुलिसकर्मियों, किसानों को भी चोटें आईं हैं. जानकारी के अनुसार हिंसा में हरियाणा पुलिस के 24 जवान जख्मी हुए हैं. इनमें से एक डीएसपी रैंक का अधिकारी भी शामिल है. घायलों में 15 जवान शंभू बॉर्डर पर चोटिल हुए हैं जबकि 9 जवान जींद में चोटिल हुए हैं. किसान संगठनों का कहना है कि पुलिस के हमले में 60 से अधिक किसान चोटिल हुए हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा है.
सवाल: शंभू बॉर्डर पर किसान कैसे खा पी रहे हैं
जवाब: अपनी मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन को लंबे वक्त तक जारी रखने के लिए शंभू बॉर्डर पर करीब 2500 ट्रैक्टर और 800 ट्रॉलियां लेकर किसान जमे हुए हैं. इन ट्रॉलियों में खाने पीने का सामान और पेट्रोल डीजल भरे हुए हैं, ताकि लंबे समय तक ठहरने में कोई दिक्कत न हो.
सवाल : किसानों को रोकने के लिए क्या है व्यवस्था?
जवाब: वैसे तो किसान फिलहाल दिल्ली की सीमा के करीब पहुंच चुके हैं लेकिन उन्हें राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सरकार ने पुख्ता व्यवस्था की है. कंक्रीट के बैरिकेट्स बनाए गए हैं और लोहे की कीलें सड़कों पर बिछाई गई हैं, ताकि किसानों की गाड़ियों का काफिला आगे न बढ़ सके. हरियाणा से सटी दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों की तैनाती है और ड्रोन से भी निगरानी रखी जा रही है. इंटेलिजेंस की टीम भी किसानों के बीच मौजूद है जो पल-पल की रणनीति की खबर सुरक्षा बलों को दे रही है. हरियाणा सरकार ने राज्य के 22 में से 15 जिलों में (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
सवाल: किन मुद्दों पर नहीं बन रही सहमति?
जवाब : किसान एमएसपी पर तत्काल स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. जबकि सरकार का कहना है कि कानून बनाने की प्रक्रिया इतनी जल्दी पूरी नहीं की जा सकती. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "किसान संगठनों को ये समझना होगा कि जिस कानून की बात की जा रही है, उस कानून के बारे में इस तरीके से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता जिससे बाद के दिनों में सबके लिए बगैर सोची समझी स्थिति के बार में लोग आलोचना करें. हमें ये कोशिश करनी चाहिए हम इसके सभी पक्षों का ध्यान रखें. किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि आम जनजीवन को बाधित न करें, आम जनजीवन किसी तरह से परेशान न हो."
सवाल: क्या हरियाणा-पंजाब में इंटरनेट सेवा बाधित है?
जवाब : किसानों के आंदोलन की वजह से हरियाणा में धारा 144 लगाई तो गई है, लेकिन इंटरनेट सेवा बाधित नहीं है. पंजाब में भी कमोबेस इसी तरह की स्थिति है.
सवाल : क्या किसानों की सरकार से बात हुई है
जवाब: मुद्दों के समाधान के लिए सरकार के साथ किसान नेताओं की दो बार बातचीत हो चुकी है. पहली बातचीत 8 फरवरी को हुई थी. दूसरी 12 फरवरी को हुई है. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और पीयूष रोयल के नेतृत्व में केंद्र सरकार के तीन प्रतिनिधियों के साथ किसानों की बातचीत बेनतीजा रही है. सरकार का कहना है कि किसान नई-नई मांगे लेकर आ रहे हैं.
सवाल : बात किस मांग को लेकर अटकी हुई है
जवाब : किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, हम हर मुद्दे पर सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों पर रबर की गोलियां चलाई गईं. उन्होंने आगे कहा, ''किसी राजनीति से हमारा लेना-देना नहीं है. पीएम बड़ा दिल दिखाएं और कानून बनाएं. कमेटी बनाना और ठंडे बस्ते में डालना आदत हो गई हैं. हम एमएसपी पर अपनी मांग पर कायम हैं. सरकार एमएसपी गारंटी कानून लागू करे.'' उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आंदोलन को बदनाम कर रही है.
सवालः अब आगे क्या होना है?
जवाब: किसानों के प्रदर्शन को लेकर बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों की बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई. वहीं किसानों ने भी बैठक के बाद बताया कि तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ गुरुवार की शाम चंडीगढ़ में उनकी बैठक होनी है. किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा. इस बैठक के बाद किसान अपनी आगे की रणनीति के बारे में विचार करेंगे.
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