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दिल्ली के आदर्श शिक्षा मॉडल से क्यों परेशान हैं छात्रों के माता-पिता? जानें अभिभावकों का क्या है कहना

दिल्ली का शिक्षा मॉडल प्राथमिकता से दिल्ली सरकार द्वारा पूरे देश और दुनिया के सामने एक आदर्श मॉडल के रूप में पेश किया जाता है.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार 14 फरवरी 2015 से है. इस दौरान दिल्ली का शिक्षा मॉडल प्राथमिकता से दिल्ली सरकार द्वारा पूरे देश और दुनिया के सामने एक आदर्श मॉडल के रूप में पेश किया जाता है. केजरीवाल का गवर्नेंस मॉडल यह दावा करता है कि उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है. 

बीते दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के स्कूल का दौरा करने पहुंचे थे जहां उन्होंने दिल्ली के सीएम केजरीवाल को ये कहा कि जैसे दिल्ली में मॉडल स्कूल चल रहे हैं वैसे ही हम तमिलनाडु में भी बना रहे हैं और वहां काम पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल को आमंत्रित करेंगे. पंजाब में भी हाल ही में भारी मतों के साथ चुनकर आई आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सीएम भगवंत मान ने यह ऐलान किया कि कोई भी प्राइवेट स्कूल तब तक फीस नहीं बढ़ाएंगे जब तक कि सरकार इस पर कोई फैसला नहीं कर लेती है. 

ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों की फीस बढ़ी है या नहीं आइये देखते हैं..

बीते करीबन 5 साल के डेटा के अनुसार दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर आदेश नहीं आया है. दिल्ली में करीब 5600 कुल स्कूलों की संख्या है जिनमें से दिल्ली के शिक्षा निदेशालय यानि डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DOE) के अंतर्गत करीब 3500 (दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए डेटा के अनुसार यह संख्या है) निजी स्कूल आते हैं जिन्हें फीस बढ़ाने के लिए शिक्षा निदेशालय से अप्रूवल लेना अनिवार्य है. बिना अप्रोवल ऐसा करना गैर कानूनी है.

पूरे विश्व में कोरोना काल का भयावय रूप कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर में देखा गया था. इस दौरान तमाम लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था तो अनगिनत परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. लिहाजा 2021 में कोरोना काल के चलते दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर आदेश दिया था कि राजधानी के सभी निजी स्कूलों को 15% का रिबेट यानि कटौती करनी होगी.

दिल्ली सरकार के ऑर्डर के मुताबिक...

वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा, 'दिल्ली सरकार ने एक ऑर्डर निकाला था कि साल 2021 में पैरेंट को सिर्फ ट्यूशन फीस देनी है और कोई फीस नहीं देनी. इस ऑर्डर को स्कूल के मालिकों द्वारा चैलेंज किया गया. 31 मई 2021 को सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के इस ऑर्डर को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया था कि यह दिल्ली सरकार की शक्तियों के अंतर्गत नहीं है. कोर्ट के ऑर्डर (सिंगल बेंच का ऑर्डर) को दिल्ली सरकार ने चैलेंज किया, डिविजन बेंच के अंदर और स्टे मांगा. यह मामला अब भी हाई कोर्ट में चल रहा है. दिल्ली सरकार डिविजन बेंच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार की अपील को खारिज कर दिया.

दरअसल मई 2021 में दिल्ली सरकार ने ऑर्डर निकाला था कि पेरेंट्स केवल ट्यूशन फीस देंगे लेकिन स्कूल मालिकों द्वारा सरकार के इस ऑर्डर को चैलेंज किया गया जिसके बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑर्डर को खारिज कर दिया. दिल्ली सरकार ने इस ऑर्डर पर स्टे की मांग की और फिलहाल यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में अब भी चल रहा है.

15 प्रतिशत की छूट फीस पर दी गई थी

दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना काल में अभिभावकों को 15 प्रतिशत की छूट फीस पर दी गई थी लेकिन अब स्तिथि ये है कि सभी स्कूल पूरी फीस वापस मांग रहे हैं. साथ ही बच्चों का प्रमोशन तक रोक रहे हैं. ऐसा ही कुछ दिल्ली के द्वारका स्तिथ DPS स्कूल के अभिभावकों का कहना है जो बताते हैं कि शिक्षा निदेशालय के अनुसार फीस जमा करने के बावजूद उनके बच्चों का प्रमोशन रोक दिया गया है.

डीपीएस द्वारका के अभिभावक दिव्या मैटी का कहना है, DPS डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DOE ) के अंतर्गत आता है. डीपीएस द्वारका ने 2020 से कम से कम 27 प्रतिशत फीस बढ़ाई है. ट्यूशन तो बढ़ी ही है साथ में एनुअल चार्ज भी बढ़ाए गए हैं. एक नया हेड डेवलपमेंट चार्ज का जोड़ा गया है. हाई कोर्ट क्या ऑर्डर कहता है कि कोई नया हेड नहीं जोड़ा जाएगा. स्कूल की अप्रूवर फीस है 72, 000 प्रति वर्ष उसका 15% होता है 10,800. स्कूल कहता है कि 10,800 डेवलपमेंट चार्ज वो लेगा. ट्यूशन फीस बढ़ाई गई है जो DOE के हिसाब से 72,000 है. इसे 27% बढ़ा दिया गया है. हमसे 2020 से इस फीस के साथ एरियर्स भी मांगे जा रहे हैं.

सौरभ खंडेलवाल का कहना है, मैंने DOE की अप्रूव्ड फीस के हिसाब से पूरा भुगतान कर दिया है. अभी 3-4 दिन पहले डीपीएसी द्वारका ने पोर्टल पर मेरे बच्चे का रिजल्ट शो किया जो रुका हुआ था. मेरा बच्चा दूसरी कक्षा से तीसरी कक्षा में जाने वाला है लेकिन स्कूल द्वारा बोला जा रहा है कि आप पहले पूरा फीस का भुगतान कीजिए उसके बाद ही रिजल्ट दिया जायेगा. हाई कोर्ट के अनुसार कोरोना के दौरान रिबेट देने थे लेकिन डीपीएस द्वारका ने केवल एनुअल चार्ज में 15 % रिबेट दिया. ट्यूशन फीस में कोई डिस्काउंट नहीं दिया गया था.  हाईकोर्ट ने स्कूलों को बकाया पैसा वसूलने की इजाजत तो दी थी लेकिन कोर्ट ने 15% का डिस्काउंट दिया था जिसे स्कूल द्वारा नहीं दिया गया. स्कूल के लॉयर के अनुसार "हम किसी बच्चे का प्रमोशन नहीं रोकेंगे अगर वो DOE अप्रूव्ड फीस भी दे रहा है. हम DOE फीस दे चुके हैं इसके बाद भी वो मेरे बच्चे का रिजल्ट रुका है.

करीब 5 साल से फीस बढ़ाने के आदेश नहीं दिए

दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में पहले ही कह चुका है कि कोरोना के दौरान दी गई छूट को अब स्कूल 6 किस्तों में वसूल सकते हैं. दिल्ली सरकार द्वारा दी गई पल भर की राहत हाई कोर्ट के सामने कहीं नहीं टिक पाई. यानि मीडिया में फीस कम करने की चर्चाएं बटोरने के बाद दिल्ली सरकार अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखने में नाकामयाब साबित हुई. शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले स्कूल या कहें सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को फीस बढ़ोतरी करने से पहले शिक्षा निदेशालय के समक्ष अप्लाई करना अनिवार्य है और इजाज़त मिलने के बाद ही फीस बढ़ाई जा सकती है. दिल्ली में शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत मौजूद करीब 3500 स्कूलों में करीब 5 साल से फीस बढ़ाने के आदेश नहीं दिए गए हैं.

शिक्षा निदेशालय ने करीब 5 साल से फीस बढ़ाने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है लेकिन बावजूद इसके कुछ स्कूल ना सिर्फ अपनी एनुअल और डेवलपमेंट फीस बढ़ा रहे हैं बल्कि ट्यूशन फीस में भी इजाफा कर रहे हैं. डीपीएस द्वारका में बीते कई दिनों से फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन भी अभिभावकों ने किया है जिनका आरोप है कि गलत ढंग से फीस को बढ़ाया गया है.

दो बच्चियों के पिता कहते हैं, मेरी दो बेटियां हैं. एक 8वीं में दूसरी 12वीं में. DOE के अनुसार फीस देने के बावजूद मेरे बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया. कोरोना काल शुरू होने के दौरान भी फीस बढ़ा दी थी. एक डॉक्टर कहते हैं, साल 2020 में मेरे बच्चे ने एडमिशन लिया था और पहली कक्षा से दूसरी में प्रमोट होने वाला था लेकिन स्कूल ने रिजल्ट रोक दिया. DOE अप्रूव पूरी फीस भरी है. एक्स्ट्रा भी दिया है इसके बावजूद इसके प्रमोशन नहीं दिया है. हमे फीस देने में परेशानी नहीं है लेकिन आप ये तो बताइए कहां से ये फीस अप्रूव करवाई है. ट्यूशन फीस करीब 27 % बढ़ाई है.

फीस 15% रिबेट के साथ ली जा सकती है

सरकार के ऑर्डर के अनुसार स्कूलों को 2021-22 सेशन में कुल फीस पर 15% रिबेट/छूट देनी थी लेकिन स्कूल वाले रिबेट काट कर फीस लेने पर आपत्ति जताते रहे हैं. जिसके बाद हाई कोर्ट ने भी यह साफ कर दिया है कि 15 प्रतिशत की रिबेट कोरोना के दौरान दी गई थी जो अब लागू नही है. जिसका मतलब ये हुआ कि 2020-21 एकेडमक वर्ष और 2021-22 के एकेडमिक वर्ष की फीस 15% रिबेट के साथ ली जा सकती है. दिल्ली सरकार द्वारा छूट का गुब्बारा यहां भी कोर्ट के सामने टिक नहीं पाया और सहूलियत के उलट इसने आम व्यक्ति को उलझाने का काम जरूर किया.

एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि, दिल्ली सरकार ने अप्रैल 2020 में ऑर्डर पास किया था कि सिर्फ ट्यूशन फूड देनी होगी. सिंगल बेंच ने इस ऑर्डर को खत्म कर दिया था. सिंगल बेंच का यह ऑर्डर ठीक है या नहीं इसकी डिवीजन बेंच द्वारा जांच की जा रही है. हाई कोर्ट ने कह दिया है कि कोरोना के दौरान दी गई छूट को अब स्कूल 6 किस्तों में ले सकते हैं.

DOE ने आपत्ति नहीं जताई है तो...

दिल्ली स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष RC जैन जिनकी एसोसिएशन के अंतर्गत डीपीएस द्वारका भी आता है कहते हैं कि स्कूल ने अगर ट्यूशन फीस बढ़ाई है तो इसमें जरूर सरकार की रजामंदी भी रही होगी. उनकी इजाजत के बिना मैनेजमेंट ऐसा नहीं कर सकती. स्कूल फीस बढ़ाने के लिए स्कूल मेंबर, टीचर प्रतिनिधि होते हैं. दिल्ली सरकार के मैनेजमेंट के स्कूल के प्रतिनिधि होते हैं. इस प्रकार से 5 प्रतिनिधि होते हैं. कोई अपनी मर्जी से नहीं बढ़ा सकता है फीस को.

अगर फीस बढ़ाई है और DOE ने आपत्ति नहीं जताई है तो यानि वो मान्य है. दिल्ली में 190 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें DOE से परमिशन लेना जरूरी है फीस बढ़ाने के लिए. मनमाना तरह से कोई फीस नहीं बढ़ा सकता. जो स्कूल डीडीए लैंड पर चल रहे हैं उन्हें DOE के नियमों के अनुसार ही चलना होता है. डीपीएस द्वारका भी डीडीए की जमीन पर है और शिक्षा निदेशालय के अधीन है.

क्या डीपीएस की तरह और भी स्कूलों की फीस बढ़ाने की इजाजत खुद सरकार से मिली है जो मैनेजमेंट का हिस्सा होते हैं? ये जानने के लिए हमारी टीम ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सवाल पूछा, 'किसी पर्टिकुलर स्कूल के बारे में कहना अभी मेरे लिए मुश्किल होगा लेकिन फीस बढ़ाना तभी होता है जब सरकार खाते चेक कर लेती है. स्कूल ने जो फीस ली थी वह खर्च कर ली है. उसी के आधार पर हम अनुमति देते हैं फीस बढ़ाने के लिए और अगर किसी ने बिना अनुमति के फीस बढ़ाई है तो हम एक्शन लेंगे.

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