उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद के साथ उसके वकील खान सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अपहरण के इस मामले में वकील खान सौलत हनीफ की मिलीभगत संदेह से परे साबित हुई. कोर्ट में साबित हुआ कि वकील खान सौलत हनीफ पहले से ही अतीक के चकिया कार्यालय में मौजूद था. उसके हाथ में एक कागज था जिसमें अतीक के समर्थन में बयान लिखा हुआ था.
यह भी साबित हुआ कि अतीक ने वकील के हाथ से एक कागज लेकर उमेश पाल को थमाया और ये कहा कि जैसा कागज पर लिखा है ठीक वैसा ही बयान कोर्ट में देना है. एमपी/एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने अपना फैसला सुनाते हुए ये कहा कि इससे कोर्ट में ये साबित हो गया कि वकील खान को पूरी योजना की पहले से ही जानकारी थी.
कोर्ट के फैसले के बाद मंगलवार को खान सौलत हनीफ को भी जेल भेज दिया गया है. इस पूरे मामले में अतीक की तरफ से वकील दया शंकर मिश्रा मामले की पैरवी कर रहे थे.
बता दें कि 2005 के बसपा विधायक राजू पाल हत्या मामले में अतीक और उसका भाई अशरफ और दिनेश पासी आरोपी हैं. उमेश पाल इस मामले में गवाह थे. आरोप है कि उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया और उसे अपना बयान वापस लेने के लिए मजबूर किया गया.
कौन हैं खान सौलत हनीफ
इलाहाबाद जिला अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले प्रयागराज के वकील खान सौलत हनीफ ने कई मामलों में अलग-अलग अदालतों की सत्र अदालत, उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अतीक का प्रतिनिधित्व किया था. खान सौलत हनीफ ने हालातों के मुताबिक सीनियर वकील भी नियुक्त किए लेकिन खान ने हमेशा से अतीक के बचाव पक्ष की निगरानी की.
खान सौलत हनीफ शुरू से ही अतीक के साथ जुड़े रहे और अतीक को करीब तीन दशक तक सजा होने से बचाया. रिपोर्ट्स की मानें तो अतीक के खिलाफ 187 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन अभी भी लगभग 100 मामले अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं.
हाल ही में पिछले साल 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद खान सौलत हनीफ सुप्रीम कोर्ट गए थे. वहां एक दूसरे वकील के माध्यम से मामला दर्ज कराया था और शीर्ष अदालत से अतीक की जान को खतरा होने की आशंका जताते हुए उन्हें प्रयागराज स्थानांतरित होने से रोकने का अनुरोध किया था. हालांकि शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इस याचिका को खारिज कर दिया.
अतीक का दूसरा सहयोगी दिनेश पासी कौन है
अतीक के सहयोगी के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व पार्षद दिनेश पासी पहली बार सुर्खियों में तब आया था जब उन्हें 2005 में राजू पाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह 2000 से पहले कैंटोनमेंट बोर्ड से पार्षद था. जहां पर राजू पाल को गोली मारी गई उस जगह से दिनेश का घर नजदीक था. फिलहाल दिनेश के खिलाफ छह आपराधिक मामले लंबित हैं
वकील खान के बारे में अदालत ने सुनवाई में क्या कहा
उमेश पाल अपहरण मामले में अदालत ने गवाहों और उमेश पाल के बयानों की जांच करने के बाद ये कहा कि खान सौलत हनीफ उम्मीद से परे इस अपराध का हिस्सा बन चुके थे. खान और अतीक की मुलाकात से लेकर बयान की पर्ची देकर गवाह को मजबूर करना खान को सजा देने के लिए काफी है.
सजा के बाद खान का एडवोकेट रजिस्ट्रेशन भी हुआ रद्द
प्रदेश में वकीलों को रेगुलेट करने वाली सर्वोच्च संस्था यूपी बार काउंसिल ने वकील खान सौलत हनीफ का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का फैसला लिया है. ये फैसला उमेश पाल अपहरण केस में खान को दोषी करार दिए जाने और उम्र कैद की सजा मिलने के आधार पर लिया गया है, और ये फैसला पूरी तरह से सैद्धांतिक है.
अब कभी वकालत नहीं कर सकेगा खान सौलत हनीफ
रजिस्ट्रेशन निरस्त होने की वजह से अगर खान जमानत पर छूट भी गया तो वो अब देश की किसी भी अदालत में वकालत नहीं कर सकेगा. यूपी बार काउंसिल ने स्वतः संज्ञान लेकर रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का फैसला लिया है. यूपी बार काउंसिल के सदस्य अमरेंद्र नाथ सिंह के मुताबिक 1 और 2 अप्रैल को होने वाली बार काउंसिल की जनरल हाउस की मीटिंग में रजिस्ट्रेशन निरस्त करने पर औपचारिक तौर पर ऐलान किया जाएगा.
मीडिया को अमरेंद्र नाथ सिंह ने ये बताया कि खान सौलत हनीफ का मामला बेहद गंभीर है, इसलिए कार्रवाई का फैसला किया गया है.
2006 में हुआ उमेश पाल का किडनैप केस क्या है
प्रयागराज के चकिया क्षेत्र में अतीक की एक खंडहरनुमा बिल्डिंग है. इसमें घर और दफ्तर है. मकान के ग्राउंड फ्लोर पर अतीक का टॉर्चर रूम है. अतीक ने इसी बिल्डिंग में साल 2006 में उमेश पाल को किडनैप कर के रखा था. बताया जा रहा है कि अतीक जिसे उठवाता था, उन पर इसी रूम में जुल्म किए जाते थे. उमेश पाल को भी इसी बिल्डिंग में रखा गया था. उमेश पाल विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे. राजू पाल बसपा के तत्कालीन विधायक थे.
2007 में अतीक और उसके भाई पर अपहरण का केस दर्ज हुआ
साल 2006 में अतीक ने उमेश पाल को गन पॉइंट पर अगवा कर लिया था. उसे 3 दिन तक अपने टॉर्चर रूम में रखा. इसी कमरे में उमेश पाल को मारा पीटा गया था. रिपोर्ट्स ये बताती हैं कि अतीक ने उमेश को बहुत यातनाएं दी जिससे वो डर गया.
चकिया कार्यालय में अतीक ने बयान लिखवाया और उमेश को वही बयान कोर्ट में देने को कहा. कोर्ट में ये साबित हुआ कि वकील खान भी इस सब में शामिल थे. वो बयान की पर्ची थामें दिखाई दिए थे. उमेश पाल ने 2007 में अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था. माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ ये केस दर्ज कराया गया था. तभी से यह केस चल रहा था.
उमेश पाल की हत्या से पहले हो चुकी थी गवाही
अपहरण के मुकदमे की पैरवी से लौटते समय 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की उनके घर के बाहर ताबड़तोड़ गोलियां और बम बरसाकर हत्या कर दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 मार्च तक केस की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था. हत्या से पहले इस केस में उमेश पाल की गवाही हो चुकी थी.
उमेश पाल का किडनैप और राजू पाल हत्या का कनेक्शन समझिए
24 फरवरी को उमेश पाल के साथ जो हुआ, उसके तार 2005 की घटनाओं से जुड़े हैं. राजू पाल एक नेता थे जो प्रयागराज में अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी अतीक अहमद और उनके परिवार के खिलाफ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत करना चाहते थे.
2002 के विधानसभा चुनाव में राजू पाल ने प्रयागराज पश्चिम सीट से अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 2004 में यही सीट अतीक के इस्तीफे से खाली हुई थी, उस समय अतीक लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट से सांसद बने थे.
अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ मोहम्मद अशरफ को अपनी सीट संभालने के लिए चुना. चूंकि अतीक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी थे, इसलिए राजू पाल को यादव की कट्टर प्रतिद्वंद्वी मायावती का समर्थन मिला और उनको बीएसपी से टिकट मिल गया.
पाल ने खालिद अजीम को 4,818 सीटों के मामूली अंतर से हराया. अब चूंकि अतीक 1989 के बाद से पांच बार इस सीट से जीत चुके थे, और राजू पाल की वजह से पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसलिए अतीक के परिवार ने इस हार को अपनी आन पर ले लिया.
राजू पाल पर चली थी दनादन गोलियां
25 जनवरी, 2005 को राजू पाल स्वरूप रानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल से अपने घर लौट रहे थे. राजू पाल अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक लड़के के शव का पोस्टमार्टम जल्दी करने को कहने आए थे. रिपोर्टस ये दावा करती हैं कि दोपहर से ही दो कारें राजू पाल का पीछा कर रही थी.
राजू पाल अस्पताल से निकले और टोयोटा क्वालिस में बैठे. राजू कार खुद ड्राइव कर रहे थे. स्कॉर्पियो कार से कुछ लोग उनका पीछा कर रहे थे.
रास्ते में पाल अपने समर्थक सादिक की बहन रुकसाना को लिफ्ट देने के लिए रुके.
नेहरू पार्क में सुलेम सराय से लगभग कुछ मीटर की दूरी पर कार में सवार हमलावरों ने राजू पाल की कार को कब्जे में ले लिया और पलक झपकते ही धड़ाधड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं. उस दिन राजू पाल को मारने के लिए लगभग 25 शार्प शूटर आए थे और उनके पास सभी तरह के अत्याधुनिक हथियार थे.
हमले के बाद राजू पाल को लोग टेंपों में डालकर अस्पताल ले गए. मर्डर करने आए शॉर्प शूटरों को लगा कि कहीं विधायक राजू पाल बच न जाएं. शूटर दोबारा आए और कई किलोमीटर तक टेंपों पर फायरिंग करते रहे. अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू पाल का शरीर छलनी हो चुका था.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 15 से ज्यादा गोलियां लगने की बात सामने आई. राजू पाल की मौके पर ही मौत हो गई. उनके साथ उनके दो बॉडीगार्ड संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई.
विधायक राजू पाल की 9 महीने पहले ही शादी हुई थी. बीएसपी कार्यकर्ताओं को जब विधायक राजू पाल की हत्या की खबर मिली तो पूरे शहर में तोड़फोड़ शुरू कर दी. राजू की मौत के बाद हुए फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को अतीक के भाई अशरफ के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
पाल की मौत के बाद पत्नी पूजा पाल ने 9 लोगों के खिलाफ कराया था एफआईआर
पाल की मौत के तुरंत बाद, उनकी पत्नी पूजा पाल ने अतीक अहमद और उनके भाई मोहम्मद अशरफ और अतीक के आदमियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई. इसमें फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान का नाम शामिल था. कुल मिलाकर, कई आरोपों के तहत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गयी.