बीफ खाना है तो खाइए लेकिन 'बीफ फेस्टिवल' का आयोजन क्यों? : वेंकैया नायडू
बीफ फेस्टीवल आयोजन पर उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यदि कोई चाहता है तो बीफ खा सकता है लेकिन इसके लिए कोई महोत्सव आयोजित करने की कोई जरूरत नहीं है.
मुबई: पिछले कुछ सालों में देश भर में बीफ खाने को लेकर काफी विवाद हुआ. बीफ को लेकर कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी हुई और कुछ लोगों की हत्या भी की गई. लेकिन बीफ के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बेहद तार्किक बयान दिया है. बीफ फेस्टिवल आयोजन पर उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यदि कोई चाहता है तो बीफ खा सकता है लेकिन इसके लिए कोई महोत्सव आयोजित करने की कोई जरूरत नहीं है.
नायडू ने कहा, ‘‘आप बीफ खाना चाहते हैं तो खाइए. महोत्सव क्यों? इसी तरह से चुंबन लेना चाहते हैं तो आपको ऐसा करने के लिए कोई महोत्सव आयोजित करने या किसी की अनुमति लेने की क्यों जरूरत है.’’ बता दें कि जुलाई 2017 में आईआईटी मद्रास के छात्रों ने गोहत्या पर रोक के खिलाफ आईआईटी के परिसर में ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन किया था.
वेंकैया नायडू आर ए पोद्दार कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्लेटिनम जुबली समारोह में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगाने वालों पर भी निशाना साधा. नायडू ने कहा,‘‘ कुछ लोग अफजल गुरू के नाम पर नारेबाजी कर रहे हैं. क्या हो रहा है? उसने हमारी संसद को उड़ाने का प्रयास किया था." जेकेएलएफ संस्थापक मकबूल भट और अफजल गुरू को 11 फरवरी 1984 और नौ फरवरी 2013 को फांसी देकर नई दिल्ली के तिहाड़ जेल के भीतर दफना दिया गया था.
बता दें कि सितंबर 2015 में दिल्ली से सटे दादरी के बिसहड़ा गांव में घर में गोमांस रखने की अफवाह के बाद गांव के लोगों ने पीट-पीटकर अखलाक को मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के विरोध में देश में तीव्र प्रतिक्रियाएं आईं थी और जमकर आलोचना हुई थी.