पश्चिम बंगाल में पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी राज्य की सत्ताधारी टीएमसी सरकार को उखाड़ फेंकने में नाकामयाब रही. बंगाल में पहली बार सरकार बनाने का ख्वाब देख रही बीजेपी के मंसूबों पर पानी फिर गया. आज जब चुनाव परिणाम आए तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रणनीति के आगे बीजेपी के सारे पैंतरें ध्वस्त होते हुए नजर आए. हालांकि, ये अलग बात है कि बीजेपी की बंगाल में करारी शिकस्त के बावजूद बीजेपी की कई बड़े नेताओं को इसमें भी जीत दिखाई दे रही है. वो इसे पिछली विधानसभा चुनाव 2016 में जीती हुई 3 सीट से तुलना कर बीजेपी की कामयाबी बता रहे हैं.
राजीव प्रतीप रुडी ने कहा- परिणाम 2016 से बेहतर
बीजेपी के सीनियर नेता राजीव प्रताप रूडी ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए यह बताया कि यह देखने का नजरिया सबका अपना नजरिया है. उन्होंने यह माना कि जिस तरह की ताकत झोंकी गई थी वैसा परिणाम नहीं आया. लेकिन उन्होंने कहा कि पिछली बार की बीजेपी के लिए यह बंगाल में बेहतर परिणाम है.
बंगाल में क्यों नहीं बीजेपी को मिली वोटों की वैक्सीन?
दरअसल, बंगाल में मैदान मारने के लिए बीजेपी ने शुरुआत से ही तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी और इसकी शुरुआत उसकी तरफ से बहुत पहले ही कर दी गई थी. इतना नहीं, एक तरफ जहां बीजेपी ने सभी बड़े केन्द्रीय मंत्रियों को बंगाल के चुनाव में उतार कर पूरी ताकत झोंक दी तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली चुनाव की तर्ज पर फ्री बिजली, महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और मुफ्त वैक्सीन जैसे वादे किए गए थे.
इसके अलावा, बीजेपी ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाले कई बड़े नेताओं को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस को कमजोर करने की भी पूरी कोशिश की. खुद चुनाव प्रचार में देश के गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बागडोर संभाल रखी थी. उसके बावजूद बंगाल की जनता का बीजेपी भरोसा नहीं जीत पाई.
क्या ममता को मिली चोट की सहानुभूति?
बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से साल 2016 के चुनाव में टीएमसी ने जहां 211 सीटें जीती थी तो वहीं उसने इस बार उससे भी बड़ी जीत दर्ज करने जा रही है. कोरोना महामारी और हिंसा के साए में लड़े गए इस चुनाव में देशभर की नजर टिकी हुई थी. ऐसे में बीजेपी की पूरी ताकत के बीच जिस तरह के परिणाम आए इसको लेकर भले ही अधिकतर एग्जिट पोल में पहले ही भविष्यवाणी कर दी गई थी. लेकिन इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि बंगाल चुनाव में ममता को चोट की सहानुभूति भी मिली.
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