Loksabha Election Result 2019: 23 मई को 17वें लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आए और इन नतीजों ने सबको चौंका कर रख दिया. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अपनी जीत से नए रिकॉर्ड कायम किए हैं. बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 303 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, अपनी साथी पार्टियों के साथ एनडीए ने कुल 352 सीटों पर जीत हासिल की है.


भले ही इस लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी लहर..मोदी सुनामी बनकर उभरी हो, लेकिन इसके बावजूद कई राज्यों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. कई राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी एक या दो सीट पर सिमट कर रह गई है और जनता ने मोदी के नेतृत्व को नकार दिया है. ऐसा ही एक राज्य है ओडिशा. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए और उसके नतीजे भी एक साथ आए और दोनों ही स्तरों पर नवीन पटनायक की पार्टी 'बीजू जनता दल' ने शानदार प्रदर्शन किया है. हालांकि बीजेपी ने बीजू जनता दल की वोटो में सेंधमारी की है.

ओडिशा में कुल 21 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से 'बीजू जनता दल' को 12 सीटों पर विजय मिली है. वहीं, बीजेपी ने भी ठीक प्रदशर्न किया और 8 सीटें अपने नाम की. इसके अलावा एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. भले ही बीजेपी ने 8 सीटें अपने नाम की हों लेकिन नवीन पटनायक ने इस प्रचंड मोदी लहर में भी अपनी जमीन नहीं खोई और उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.


कौन हैं नवीन पटनायक...

ओडिशा के ही कटक में जन्में नवीन पटनायक ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के बेटे हैं. बीजू पटनायक एक स्वतंत्रता सेनानी और शानदार पायलट भी थे. नवीन पटनायक ने 1997 में पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा.

नवीन पटनायक देश के अन्य मुख्यमंत्रियों से थोड़े अलग हैं वो सबसे कम बोलने वाले मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं. हैरानी की बात ये है कि जब नवीन पटनायक ने साल 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ा था तो उस दौरान उन्हें ओडिया भाषा तक बोलनी नहीं आती थी, लेकिन इसके बावजूद जनता ने उन पर विश्वास जताया. नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक, जनता दल का हिस्सा थे लेकिन पिता की मौत के बाद नवीन पटनायक ने जनता दल से खुद को अलग कर लिया और नई पार्टी बीजू जनता दल की नींव रखी.

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साल 1998 में बीजू जनता दल की नींव के बाद नवीन पटनायक ने साल 2000 में पहली बार चुनाव लड़े और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उसके बाद नवीन पटनायक ने अभी तक कभी हार का मुंह नहीं देखा. वो लगातार पिछले 19 सालों से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं और अब एक बार फिर सीएम पद की शपथ लेने वाले हैं. नवीन पटनायक चार बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.



पटनायक पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु और सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के बाद लगातार पांचवीं बार सत्ता में बने रहने वाले देश के तीसरे मुख्यमंत्री होंगे. वर्तमान में देश में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री चामलिंग हैं.

विधानसभा में चला नवीन पटनायक का जादू

लोकसभा के साथ-साथ नवीन पटनायक की बीजू जनता दल ने ओडिशा के विधानसभा चुनावों में भी लगातार पांचवीं  बार जीत हासिल की है. बीजू जनता दल ने विधानसभा चुनावों में विपक्ष को बुरी तरह से परास्त किया है. बीजद राज्य विधानसभा की 146 सीटों में से 112 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं बीजेपी के खाते में सिर्फ 23 सीटें ही गई हैं. इसके अलावा 9 विधानसभा सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं और दो सीटें अन्य को मिली.

नवीन पटनायक ने साल 2000 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर सत्ता का अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. उसके बाद से साल दर साल उनकी पार्टी की स्थिति में सुधार आए और वो लगातार हर चुनावों में जीत दर्ज करते आए गए. इस साल नवीन पटनायक ने बीजेपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और 5 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की.

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(फाइल फोटो)

पटनायक के गढ़ में सेंधमारी कर रही बीजेपी

बीजेपी ने भले ही इस बार ओडिशा में बीजद के मतों में सेंधमारी की हो लेकिन अभी भी राज्य में बीजेपी अपनी जमीन नहीं तलाश पाई है. मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद नवीन पटनायक  पांचवी बार ओडिशा के सीएम पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं. भले ही विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में बीजद ने अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन पिछले साल के मुकाबले उनकी पार्टी को इस बार कम सीटें मिली हैं.

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साल 2014 के चुनावों में बीजद को लोकसभा में 20 और विधानसभा में 117 सीटें मिली थी. जबकि 2019 के चुनावों में बीजद को लोकसभा में 12 सीटें और विधानसभा में 112 सीटों पर जीत हासिल हुई है. इन नतीजों के बाद तो यही कहा जा सकता है कि पटनायक को हराने के लिए बीजेपी को अभी और मेहनत करनी पड़ेगी.

क्यों नहीं चला ओडिशा में मोदी मैजिक?

पूरे देश में मोदी की प्रचंड लहर के बाद भी ओडिशा में बीजेपी उतना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई. इसके पीछे की मुख्य वजह ओडिशा में बीजेपी के कमजोर नेतृत्व को माना जा रहा है. बीजेपी ने यहां से अपना सीएम कैंडिडेट नहीं उतारा था. साथ ही इस बात को लेकर भी लगातार बहस छिड़ि हुई थी कि धर्मेंद्र प्रधान या पूर्व आईएएस अफसर अपराजिता सारंगी सीएम पद की कैंडिडेट होंगी.


ओडिशा से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बड़ा चेहरा हैं. पहले माना जा रहा था कि बीजेपी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान मुख्यमंत्री चेहरा बनाएगी. लेकिन, बाद में ऐसा लगा कि पार्टी अपना रुख बदल रही है और पूर्व आईएएस अफसर अपराजिता सारंगी को अपने प्रमुख चेहरे के तौर पर पेश कर रही है.

ओडिशा की राजधानी में बड़ी-बड़ी होर्डिग लगी हुई हैं जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यहां से पार्टी प्रत्याशी अपराजिता सारंगी की तस्वीरें दिखीं लेकिन इनमें धर्मेद्र प्रधान नजर नहीं आए. इस सब से जनता के बीच ये संदेश गया कि बीजेपी का नेतृत्व कमजोर है और इसका फायदा नवीन पटनायक को मिला.