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क्या पीएम मोदी ने नेहरू की द डिस्कवरी ऑफ इंडिया पढ़ी है, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने क्यों कहा ऐसा?

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पीएम मोदी की पंडित नेहरू को लेकर की गई टिप्पणी पर पलटवार किया है. उन्होंने तंज कसा कि अगर पीएम ने ये सब पढ़ा होता तो उन्हें पता चलता कि पंडित नेहरू खुले विचारों वाले थे.

Manish Tewari On PM Modi: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बुधवार (7 फरवरी) को पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू की महानतम रचनाएं जैसे कि 'द डिस्कवरी ऑफ इंडिया' या 'ग्लिम्पसेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' या पिता की ओर से पुत्री को लिखे गए उनके पत्रों को पढ़ा है?

मनीष तिवारी पीएम मोदी की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू को लेकर की गई टिप्पणी का जवाब दे रहे थे. पीएम मोदी ने पंडित नेहरू के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का हवाला देते हुए राज्यसभा में कहा था कि नेहरू आरक्षण विरोधी थे.

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष तिवारी ने कहा, ''पीएम मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सबसे बड़े प्रशंसक हैं. मुझे नहीं पता कि पीएम मोदी ने द डिस्कवरी ऑफ इंडिया पढ़ी है या नहीं, जो नेहरू जी ने जेल में बिना किसी मदद या संदर्भ के लिखी थी.''

उन्होंने कहा, ''अगर पीएम ने ये सब पढ़ा होता तो उन्हें समझ आ जाता कि पंडित नेहरू बहुत खुले विचारों वाले व्यक्ति थे और मुख्यमंत्रियों और अन्य मंत्रियों के साथ चर्चा करने में विश्वास रखते थे. इस परामर्श प्रक्रिया के दौरान व्यक्त किए गए विचार कोई निर्णय नहीं थे.''

पंडित नेहरू के पत्र का हवाला देते हुए क्या कहा था पीएम मोदी ने?

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने जवाब के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ''मैं आदरपूर्वक नेहरू जी को इन दिनों ज्यादा याद करता हूं.'' उन्होंने कहा, ''एकबार नेहरू जी ने एक चिट्ठी लिखी थी और ये चिट्ठी मुख्यमंत्रियों को लिखी थी.'' पीएम मोदी ने कहा, ''मैं (चिट्ठी का) अनुवाद पढ़ता हूं- 'मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं. मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं जो अकुशलता तो बढ़ावा दे, जो दोयम दर्जे की तरफ ले जाए.' ये पंडित नेहरू की मुख्यमंत्रियों को लिखी हुई चिट्ठी है और तब जाकर मैं कहता हूं कि ये जन्मजात इसके (आरक्षण) विरोधी हैं.''

पीएम मोदी ने कहा, ''नेहरू जी कहते थे अगर एससी, एसटी, ओबीसी को नौकरियों में आरक्षण मिला तो सरकारी काम का स्तर गिर जाएगा और आज जो आंकड़े गिनाते हैं न कि इतने यहां हैं, इतने यहां, उसका मूल यहां है क्योंकि उस समय उन्होंने रोक दिया था, रिक्रूटमेंट भी मत करो. अगर उस समय सरकार में भर्ती हुई होती और वो प्रमोशन करते-करते आगे बढ़ते तो आज यहां पर पहुंचते.''

पीएम मोदी ने कहा, ''आप वेरीफाई कर सकते हैं. मैं पंडित नेहरू का कोट पढ़ रहा हूं.'' उन्होंने कहा, ''आदरणीय सभापति जी, आप तो जानते हैं नेहरू जी ने जो कहा वो कांग्रेस के लिए हमेशा से पत्थर की लकीर होता है.''

तो वह निश्चित रूप से नेहरू के व्यक्तित्व को समझ पाते- मनीष तिवारी

मनीष तिवारी ने कहा, ''अगर आप संदर्भ से हटकर किसी बात का विस्तार करते हैं तो इसका कुछ भी मतलब हो सकता है. अगर उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के जीवनकाल में उनकी ओर से कुछ भी लिखा हुआ पूरा पढ़ा होता तो वह निश्चित रूप से नेहरू के व्यक्तित्व को समझ पाते.'' कांग्रेस सांसद ने कहा, ''कभी-कभी वे विचार केवल बहस शुरू करने के लिए व्यक्त किए जाते थे.''

मुख्यमंत्रियों को लिखे पंडित नेहरू के पत्र में क्या कहा गया?

माधव खोसला की ओर से संपादित मुख्यमंत्रियों को नेहरू के पत्रों के संकलन (लेटर्स फॉर ए नेशन: फ्रॉम जवाहरलाल नेहरू टू हिज चीफ मिनिस्टर्स 1947-1963) में पाया गया पत्र कहता है-

''मैं किसी भी प्रकार के आरक्षण को नापसंद करता हूं, विशेषकर सेवाओं में. मैं किसी भी ऐसी चीज के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं जो अक्षमता और दोयम दर्जे के मानकों की ओर ले जाती है. मैं चाहता हूं कि मेरा देश हर चीज में प्रथम श्रेणी का देश बने. जिस क्षण हम दोयम दर्जे को प्रोत्साहित करते हैं, हम खो जाते हैं.''

इसमें लिखा गया था, ''बैकवर्ड ग्रुप की मदद करने का एकमात्र वास्तविक तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर देना है, लेकिन अगर हम सांप्रदायिक और जाति के आधार पर आरक्षण के लिए जाते हैं तो हम प्रतिभाशाली और सक्षम लोगों को निगल जाते हैं और दूसरे दर्जे या तीसरे दर्जे के बने रह जाते हैं. मुझे यह जानकर दुख हुआ कि सांप्रदायिक विचारों के आधार पर आरक्षण का यह व्यवसाय कितना आगे बढ़ गया है.''

पत्र में लिखा गया था, ''आइए हम पिछड़े समूहों की हर तरह से मदद करें लेकिन दक्षता की कीमत पर कभी नहीं.''

यह भी पढ़ें- राज्यसभा से हटाए गए खरगे के भाषण के अंश, सभापति से की स्पष्टीकरण की मांग

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