कंसेंट फॉर्म को लेकर ‘कोवैक्सीन’ और ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन के लिए अलग-अलग नियम क्यों हैं?
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की covishield वैक्सीन के लिए कोई कंसेंट फॉर्म नहीं भरना होता है. वैक्सीन लेने के बाद आधे घंटे ऑब्जर्व किया जाता है और घर जाने दिया जाता है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनो वैक्सीन सेफ हैं और ठीक हैं. सब कुछ सही पाए जाने पर ही डीसीजीआई ने इसे महामारी में रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी है.
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ पिछले चार दिनों से टीकाकरण चल रहा है. भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ लेने से पहले कंसेंट फॉर्म भरना पड़ता है. लेकिन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ के लिए ये फॉर्म नहीं भरना पड़ता है. जबकि दोनों को इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति एक साथ मिली है. जानिए दोनों वैक्सीन के लिए अलग-अलग नियम क्यों हैं.
भारत बायोटेक की वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड में इमरजेंसी यूज़ authorization दिया गया है. इसमें वैक्सीनशन के दौरान वैक्सीन लेने वाले को तीन डॉक्यूमेंट दिए और समझाये जाते हैं.
- पहला- फैक्ट शीट यानी वैक्सीन के बारे में जानकारी किसे देनी है, किसे नही.
- दूसरा- कंसेंट फॉर्म यानी समझने के बाद सहमति देना.
- तीसरा- एडवर्स इवेंट फॉर्म
पहले दो फॉर्म के बारे में वैक्सीन लेने वाले को पढ़कर समझाया जाता है और समझने के बाद उससे सहमति ली जाती है जिसके बाद उसे वैक्सीन दी जाती है. वहीं तीसरा फॉर्म वैक्सीन लेने वाले को अगले सात दिनों तक खुद भरना होता है. जिसमे वो अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भरते हैं. वैक्सीन मिलने के बाद इन सात दिनों तक आपके स्वास्थ्य पर नज़र रखी जाती है और कुछ तकलीफ होने पर इलाज का खर्च अथॉरिटी उठाती है.
covaxin लगवाने के बाद सात दिनों तक स्वास्थ्य के बारे में पूछते हैं डॉक्टर
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की covishield वैक्सीन के लिए कोई कंसेंट फॉर्म नहीं भरना होता है. वैक्सीन लेने के बाद आधे घंटे ऑब्जर्व किया जाता है और घर जाने दिया जाता है. घर जाने पर अगर कोई दिक्कत आती है तो लेने वाले को बताना होगा की क्या दिक्कत है. वहीं covaxin के केस में डॉक्टर अगले सात दिनों तक फोन करके आपका हालचाल जानते हैं. आपको इन सात दिनों तक एक फॉर्म भरना होता है, जिसमें आपने स्वास्थ्य की जानकारी देनी होती है.
दोनो वैक्सीन को एक साथ कुछ शर्तों के साथ अनुमति मिली थी. भारत बायोटेक के पहला और दूसरा चरण का डेटा था, यानी सेफ्टी और इममुनोजेन्सिटी का डेटा था लेकिन तीसरे चरण का उतना डेटा नहीं था. ऐसे में वैक्सीन सेफ है और काम करती है, लेकिन कितनी एफ्फिकेसी है ये साफ नहीं था. इसलिए इसे शर्तों के साथ इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनो वैक्सीन सेफ हैं और ठीक हैं. सब कुछ सही पाए जाने पर ही डीसीजीआई ने इसे महामारी में रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दी है.
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