नई दिल्ली: सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के सवालों का जवाब दिया . प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि चिंदबरम ने पहले ही दिन कोर्ट के शर्तों का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने बेल देते समय पब्लिक स्टेटमेंट देने से मना किया था.


जावड़ेकर ने कहा कि कश्मीर में आजादी 1975 में नहीं थी जब प्रेस सैंशरशिप लगाए थे. आज तो फ्रीडम है. पत्थरबाजी में कमी आई है. चिदंबरम के समय कश्मीर जल रहा था, आज तरक्की के रास्ते पर है . 1984 के सिख विरोधी दंगों पर मनमोहन सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मनमोहन सिंह जी, सेना बुलाने का अधिकार पीएम का होता है और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी मंत्रियों को निर्देश दे सकते थे. राजीव गांधी ने तो दंगों का समर्थन वाला बयान दिया था. नरसिम्हा राव के समय तो मनमोहन वित्त मंत्री थे, अगर इतने ही बुरे थे तो उनकी सरकार में क्यों थे?


प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जो जेल से बाहर आ रहे हैं वो स्वतंत्रता सेनानी नहीं अपराधी के रूप में बाहर आ रहे, ये याद रखना चाहिए. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की जेल से बाहर आते ही पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में आर्थिक हालात पर हमला बोला जाहिर सी बात है कि मंदी की मार झेल रहा देश को आने वाले समय में इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी और देखने को मिलेगी.


बता दें कि मनमोहन सिंह ने कहा है कि अगर उस वक्त के गृह मंत्री नरसिम्हा राव ने इंद्र कुमार गुजराल की सलाह मान ली होती तो इतना बड़ा दंगा नहीं होता.


गुजराल ने राव से सेना बुलाने को कहा था- मनमोहन
इन्द्र कुमार गुजराल की सौंवी जयंती पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, ‘गुजराल ने नरसिम्हा राव को जल्द से जल्द सेना बुलाने की सलाह दी थी. इंद्र कुमार गुजराल उस वक्त किसी पद पर नहीं थे, लेकिन उन्होंने एक वरिष्ठ राजनेता की हैसियत से नरसिम्हा राव को सलाह दी थी.’


1984 में क्या हुआ था?
बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके बॉडीगार्ड्स ने हत्या कर दी थी. इंदिरा गांधी के दोनों बॉडीगार्ड्स सिख थे. इसके बाद दिल्ली समेत कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे. दिल्ली में सबसे भयानक दंगे हुए और इसमें करीब तीन हजार लोग मारे गए थे.