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मिर्ज़ा ग़ालिब ने क्यों कहा था- या ख़ुदा बनारस को बुरी नज़र से बचाना, ये हिन्दुस्तान का काबा है
Mirza Ghalib Birth Anniversary: बनारस में गाय और सांड से ही संकड़ी गलियों में बचने की ज़रूरत नहीं पड़ती बल्कि किसी गली में पहली मंजिल से बेफिक्री के साथ फेंके गए पान के पीक से भी खतरा हो सकता है.
बनारस, भारत का अध्यात्मिक शहर, जहां जिंदगी और मौत दोनों का जश्न बराबर दिखाई देता है. वो शहर जहां आज भी भोर में सूर्य निकलने से पहले घाटों पर भीड़ लग जाती है. जिस वक्त देश के अन्य शहरों में आलस
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion