बिहार विधानसभा चुनाव: आख़िर सुशील मोदी को क्यों अपना ट्वीट डिलीट करके फिर से बदलना पड़ा?
बिहार चुनाव को लेकर राजनीति गर्म हो गई है. अब लोक जनशक्ति पार्टी और बीजेपी के बीच मतभेद के संकेत मिले हैं.
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पटना: बिहार चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान के बीच तो तनातनी चल ही रही थी, लेकिन अभी तक चिराग पासवान और बिहार बीजेपी के नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने नहीं आए थे. हालांकि, अब एलजेपी और बिहार बीजेपी के बीच भी तनातनी के संकेत मिलने लगे हैं. शनिवार रात बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के एक ट्वीट से ये बात सामने आई है.
सुशील मोदी ने शनिवार रात बिहार चुनाव को टालने की कुछ पार्टियों की मांग पर एक ट्वीट किया था. मोदी ने ट्वीट में लिखा "बिहार चुनाव समय पर हों या टल जाएं, एनडीए चुनाव आयोग के निर्णय का पालन करेगा, लेकिन जैसे कमज़ोर विद्यार्थी परीक्षा टालने का बहाना खोजते हैं, वैसे ही कुछ दल चुनाव टालने के लिए दबाव बना रहे हैं."
विधानसभा चुनाव समय पर हों या टल जाएँ, एनडीए आयोग के निर्णय का पालन करेगा। हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं, लेकिन जैसे कमजोर विद्यार्थी परीक्षा टालने के मुद्दे खोजते हैं, वैसे ही राजद अपनी संभावित हार को देखते हुए चुनाव टालने के लिए बहाना खोज रहा है।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) July 11, 2020
मोदी के ट्वीट पर आपत्ति
बता दें कि बिहार में अभी तक केवल दो दलों ने ही चुनाव टालने का सुझाव दिया है. पहले राष्ट्रीय जनता दल ने और फिर कुछ दिनों बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने ऐसा सुझाव दिया है. सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में किसी पार्टी या नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका ट्वीट लोक जनशक्ति पार्टी और उसके अध्यक्ष चिराग पासवान के चुनाव टालने के बयान के अगले दिन आया. लिहाज़ा लोक जनशक्ति पार्टी को ये ट्वीट नागवार गुजरा है.
मोदी ने अपना ट्वीट डिलीट किया
बस, फिर क्या था. पार्टी ने इस ट्वीट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे गम्भीरता से लिया. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ लोजपा की इस आपत्ति को बीजेपी के नेताओं ने भी सही पाया. पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेताओं ने भी इन आपत्तियों को सही पाया. इसका नतीज़ा ये हुआ कि अपने पहले ट्वीट को डिलीट कर सुशील मोदी ने उनमें थोड़ा सा बदलाव करके दूसरा ट्वीट किया.
अपने दूसरे ट्वीट में सुशील मोदी ने बदलाव केवल ये किया कि उन्हीने 'कुछ दल' शब्द को हटाकर वहां 'राजद' यानि राष्ट्रीय जनता दल का नाम लिख दिया. उन्होंने लिखा कि चुनाव टालने की मांग करके राजद अपनी हार टालने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, सवाल अब भी यही है कि अगर चुनाव टालने की मांग करके अगर राजद अपनी हार टालने की कोशिश कर रहा है तो फिर लोजपा की मांग को क्या कहा जाए?
इस घटना से वैसे एक बात ये भी साफ़ लगती है कि अभी तक लोजपा और बीजेपी के बीच रिश्ते उतने ख़राब नहीं हुए हैं जितना लोजपा और जेडीयू के बीच. ख़ासकर लोजपा और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में किस तरह का रिश्ता है ये लोजपा संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के तीन दिन पहले दिए गए उस बयान से भी पता चलता है, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी को अपना नेता मानते हुए उनके प्रति प्रतिबद्धता जताई थी.
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