In Details: आखिर क्यों इतिहास में पेट्रोल से महंगा हुआ डीजल, जानें बढ़ रही कीमतों की वजह?
बुधवार को लगातार 18वें दिन डीजल की कीमत में इज़ाफा हुआ. इसके साथ ही देश में पहली बार डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा हो गई.
नई दिल्ली: बुधवार को लगातार 18वें दिन डीजल की कीमत में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, 17 दिन लगातार कीमत बढ़ने के बाद आज पेट्रोल की कीमत में इज़ाफा नहीं हुआ. बुधवार को डीजल के दाम में 48 पैसों की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही देश में पहली बार डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा हो गई. आइये जानें कि आखिर क्यों लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और कैसे डीजल, पेट्रोल से भी महंगा हो गया.
दरअसल, हुआ ये कि पिछले 18 दिनों में पेट्रोल के दाम में जहां 8.50 रुपये की बढ़ोतरी हुई वहीं डीजल की कीमत में 10.49 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ. इस तरह रेट के मामले में डीजल ने पेट्रोल को इतिहास में पहली बार पछाड़ दिया.
इसकी दूसरी वजह ये है कि मई के पहले हफ्ते में भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर भारी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई. पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 10 रुपये बढ़ाया गया, जबकि डीजल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 13 रुपये बढ़ाया गया. यहां भी डीजल के महंगा होने की राह तैयार की गई.
लेकिन फिर भी ये सवाल उठता है कि आखिर देशभर में डीजल पेट्रोल से महंगा क्यों नहीं हुआ तो इसके पीछे की वजह है, पिछले महीने दिल्ली सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाए. पेट्रोल की कीमत में 1.67 रुपये प्रति लीटर और डीजल 7.10 रुपये प्रति लीटर की दर से महंगा किया गया. यही वजह है कि दिल्ली में डीजल पेट्रोल से महंगा हो चला है.
इस कारण लगातार बढ़ रहे हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
गौरतलब है कि देश में कोरोना के प्रकोप को देखते हुए लगभग ढ़ाई महीने तक लॉकडाउन लागू रहा. इस कारण सरकार का खजाना खाली हो गया था. इसके बाद सरकार के पास पेट्रोल-डीजल एकमात्र ही ऐसा सोर्स था, जहां से वो अच्छा राजस्व प्राप्त कर सकती थी. जीएसटी और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में तो कोरोना लॉकडाउन की वजह से भारी गिरावट आई है. अप्रैल में सेंट्रल जीएसटी कलेक्शन महज 6,000 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि एक साल पहले इस अवधि में सीजीएसटी कलेक्शन 47,000 करोड़ रुपये का हुआ था. इस कारण सरकार को लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़े.
दरअसल, कोरोना काल में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आई, तो सरकार ने इसे राजस्व बढ़ाने के मौके के रूप में देखा. जब कच्चे तेल की कीमत में कमी लगातार जारी रही तो सरकार ने टैक्सेज बढ़ाकर इनके दाम बढ़ा दिए. इससे पेट्रोलियम कंपनियों को तो मुनाफा नहीं हुआ, लेकिन सरकार का राजस्व काफी बढ़ा.
पिछले पांच सालों में सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी से 2.23 लाख करोड़ रुपये का राजस्व कमाया है. वहीं इससे पहले पेट्रोलियम पदार्थों से सरकार का राजस्व इससे आधा था.
एक समान होती है पेट्रोल और डीजल की लागत
बता दें कि सरकार पिछले लंबे वक्त से पेट्रोल और डीजल की कीमत के अंतर को कम करना चाह रही थी. इसके पीछे का कारण यह है कि पेट्रोल और डीजल की लागत एक समान होती है. डीजल पहले इसलिए सस्ता था, क्योंकि इस पर सरकार सब्सिडी देती थी. डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार की कल्याणकारी सोच थी. दरअसल, डीजल का प्रयोग खेती, बिजली और ट्रांसपोर्ट जैसे ज़रूरी सेक्टर में होता है. हालांकि, 2014 से पहले यूपीए सरकार में डीजल पर सब्सिडी को बोझ काफी ज्यादा हो गया था. इसी कारण पिछले लंबे वक्त से पेट्रोल और डीजल की कीमत को एक समान करने की बात हो रही थी. पिछले कुछ वक्त में मोदी सरकार ने पेट्रोल से ज्यादा डीजल पर टैक्स लगाया है. इस कारण ही डीजल की कीमत आज पेट्रोल से ज्यादा हो गई.
इंडियन ऑयल के मुताबिक पेट्रोल की बेस प्राइस जहां 22.11 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल की बेस प्राइस 22.93 रुपये प्रति लीटर है.
डीजल की कीमत बढ़ने से बढ़ेगी महंगाई
डीजल की कीमत बढ़ने से आम आदमी पर इसकी चौतरफा मार पड़ेगी. इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट तो महंगा होगा ही साथ ही महंगाई भी बढ़ेगी. खेती पर भी इसका काफी असर पड़ेगा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के किराए के साथ-साथ ऑटो सेक्टर की बिक्री पर भी इसका गंभीर असर होगा.
दिल्ली में अब 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई डीजल की कीमत
दिल्ली में आज 48 पैसे की बढ़ोतरी के साथ अब डीजल की कीमत 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई है. वहीं पेट्रोल की कीमत 79.76 रुपये है. हालांकि, देश में सिर्फ दिल्ली में ही डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा हुई है.
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