नई दिल्लीः किसी डिजिटल संदेश या दस्तावेज की प्रामाणिकता को बनाए रखने के लिए डिजिटल सिग्नेचर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सामान्यत: वित्तीय लेनदेन मामले और अन्य दस्तावेजों में धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने के लिए डिजिटल सिग्नेचर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.


अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 30 जून 2000 को अमेरिका में डिजिटल सिग्नेचर को कानूनी मान्यता दी. साल 2000 में अमेरिकी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षरों को अपनाने को आसान बनाने के लिए ESIGN अधिनियम पारित किया, जिससे उन सभी अमेरिकी स्थानों में जहां संघीय कानून लागू होता है, दस्तावेज को सुव्यवस्थित करने के एक नए युग की शुरुआत हुई.


बनाया गया ESIGN अधिनियम 


2000 में यूएस इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर इन ग्लोबल एंड नेशनल कॉमर्स (ESIGN) अधिनियम ने कानून बनाया कि इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर हर राज्य और यू.एस. क्षेत्र में जहां संघीय कानून लागू होता है, वहां अधिकांश अमेरिकी राज्यों ने यूनिफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन एक्ट (यूईटीए) को अपनाया है.


भारत में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने दी मान्यता


भारत में भी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अनुसार डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफेकेट (DSC) को भारत में कानूनी रूप से मान्यता मिली है. डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुसार भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत लाइसेंस प्राप्त प्रमाणन प्राधिकरणों के जरिए जारी किया जाता है.


कानूनी रूप से वैध डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) सर्टिफिकेट केवल एक कंट्रोलर ऑफ सर्टिफाइंग अथॉरिटीज (CCA), भारत सरकार के माध्यम से जारी किया जाता है. ई-सॉल्यूशन (n) कोड सॉल्यूशंस-सीए के जरिए लाइसेंस प्राप्त एक पंजीकरण प्राधिकरण (आरए), व्यक्तिगत और साथ ही संगठनात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न विकल्पों के माध्यम से सुरक्षित डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (डीएससी) प्रदान करता है.


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