पटना: कोरोना मरीजों के इलाज के लिए लगाए गए योद्धाओं ने क्यों कर दिया सरेंडर?
डॉक्टर ने जानकारी दी कि यहां मार्केट के सिलेंडर वाले ऑक्सीजन से काम नहीं चल सकता क्योंकि एक सिलिंडर करीब ढाई से तीन घंटे ही चलते हैं. वैसे में फिर चेंज करना पड़ता है. चूँकि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का काम होता था उसे चेंज करना और वो डर से कोई जाना नही चाहते थे. वैसे में ऑक्सीजन बेड जितना उपलब्ध हैं उतना सुविधा हम दे रहे थे.
पटना: पटना के कोविड अस्पताल एनएमसीएच के अस्पताल अधीक्षक डॉ निर्मल सिन्हा के हटाए जाने पर तेजस्वी ने सवाल उठाए हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि हमलोग बाढ़ और कोरोना को देखते हुए लगातार सरकार को सचेत करते रहे हैं पर सरकार को जो इंतजाम करने चाहिए था, जिस तरह से डिजास्टर मैनेजमेंट करने चाहिए थे उसमे सरकार पूरी तरह से फेल नजर आ रही है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि आप उदाहरण देख सकते हैं कि एनएमसीएच के अधीक्षक को बिहार सरकार ने हटा दिया. क्यों हटाया गया ? क्योंकि उन्होंने सरकार के पोल को खोलने का काम किया है, सेंट्रल टीम के समक्ष इस वजह से उन्हें हटा दिया गया. सरकार ने एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ निर्मल सिन्हा को हटाने के पीछे प्रशासनिक वज़ह बताया है.
डॉ निर्मल सिन्हा ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ''एनएमसीएच हॉस्पिटल पर पूरे राज्य का लोड था. पटना से बाहर के मेडिकल कॉलेज से भी मरीजों को इलाज के लिए यहां भेज दिया जाता था वो भी अंतिम स्थिति में. हमे यहां संभालने में काफी परेशानी होती थी. 39 साल के सर्विस में कभी इतना लोड और प्रेशर नही झेला था.''
उन्होंने कहा, "इतने फोन कॉल्स और पैरवी आते थे ऐसे स्थिति में सबको खुश रखना संभव नहीं था मेरे लिए. जितना हो सकता था मैंने किया. यहां हकीकत ये है कि कोई डॉक्टर कोरोना पेसेंट के निकट जाना नहीं चाहता है. ऐसे में पेसेंट के साथ केयर करने में दिक्कतें आती थी. इसलिए पैरवी वाले लोग थे उनके द्वारा अलग प्रेशर मिलता था. डॉक्टरों को काफी डांट फटकार के बाद भेजना पड़ता था तो इस तरह की शिकायत आम थे वहां.''
एनएमसीएच की वास्तविक स्थित पर हमने कई डॉक्टर और मरीजों से बात की तो सच्चाई सामने आई.
इंफ्रास्टरचर की कमी है. डॉक्टरों ने कहा, "यहां कोविड मरीजों के लिए प्राप्त बेड 447 उपलब्ध हैं. आजतक यहां 183 मरीज भर्ती थे पर ऑक्सीजन बेड की यहां कमी है. यहां अभी 166 बेड पर ही ऑक्सीजन उपलब्ध है. बाकी मरीजों के लिए बाहरी सिलेंडर इस्तेमाल किया जाता था. ऑक्सीजन बेड की मांग रखी गई थी पर वो अभी तक पूर्ति नही हो सका है.''
डॉक्टर ने जानकारी दी कि यहां मार्केट के सिलेंडर वाले ऑक्सीजन से काम नहीं चल सकता क्योंकि एक सिलिंडर करीब ढाई से तीन घंटे ही चलते हैं. वैसे में फिर चेंज करना पड़ता है. चूँकि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का काम होता था उसे चेंज करना और वो डर से कोई जाना नही चाहते थे. वैसे में ऑक्सीजन बेड जितना उपलब्ध हैं उतना सुविधा हम दे रहे थे.
डॉक्टर में खौफ यहां स्थिति ये है कि डॉक्टर से लेकर सिस्टर, पैरामेडिकल सभी डरे हुए हैं और जब डॉक्टर ही डर रहे हैं तो उनके नीचे काम करने वालों में डर होना स्वाभाविक है.जब डॉक्टर जाएंगे तो उनके नीचे काम करने वाले स्वाभाविक है कि वो भी जाएंगे पर जब वहीं डर रहे हैं तो बाकी की क्या.
अस्पताल में ज़्यादातर मरने वालों का कारण सिर्फ कोविड नहीं यहां मरने वालों का आंकड़ा 58 से 60 के बीच है आजतक जिनमे मरने वालों में मुख्य कारण कोविड नही कहा जा सकता क्योंकि की पहले से भी वो बड़ी बीमारी जैसे कैंसर, किडनी, लिवर हार्ट ऑपरेशन जैसे बीमारी से ग्रसित होते थे.जिनमे भी डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी से लगभग सभी मरीज ग्रसित हैं. यहां पर तो महावीर कैंसर संस्थान से भी मरीज भर्ती होते थे शुरुआत में एम्स से भी यहां मरीज भेजे जाते थे. मतलब किसी भी बीमारी से ग्रसित हो अगर उनको कोविड पॉजिटिव पाया जाता तो यहां भेज दिया जाता था.
ऑक्सीजन प्लांट नहीं बैठ सका यहां बेड उपलब्ध है डॉक्टर स्टाफ की भी कोई कमी नही है पर वो डरे हुए हैं.कमी बस ऑक्सीजन बेड की है चूँकि कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल आपने घोषित किया है और आपके पास बेड भी उपलब्ध हैं तो ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सारे बेड पर होने चाहिए था. ऑक्सीजन प्लांट बैठाने की बात कही गई थी जो अबतक नही हुआ.
पटना कमिश्नर काफी आक्रोशित थे और उन्होंने BSMIL के अधिकारी को कड़े शब्दों में फटकार लगाई थी कहा था कि अगर 48 घन्टो में आप सुविधा मुहैया नही कराते तो आपको डिसमिस किया जा सकता है. इन्ही सब चीजों को लेकर तो उन्होंने सफाई पेश किया था कि टेंडर हो गया है और बहुत जल्द हम सारी सुविधाएं मुहैया करा देंगे.BSMIL सरकार की एक कंपनी है जो मेडिकल से जुड़ी सुविधाओं को देखती है और अस्पताल को मुहैया कराती है.