नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इस महीने दिल्ली में भूकंप के झटके चौथी बार महसूस किए गए हैं. अब सवाल ये है कि क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है और कैसे पता लगता है कि ये कितनी तीव्रता का होता है. दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. जिससे भूकंप आते रहते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...



क्यों आता है भूकंप


हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है. ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है.


भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.


कैसे मापा जाता जाता है भूकंप की तिव्रता


भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. इसको इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.


देश को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है


दरअसल भूकंप को लेकर भारत को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है. मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है.जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है.