कांग्रेस के भीतरी घमासान के बीच अब ये आरोप लगने शुरू हो गए हैं कि G23 में शामिल नेता नेतृत्व पर सवाल इसलिए खड़े कर रहे हैं क्योंकि इनमें से कई नेताओं को कहीं भी उचित जगह नहीं दी गई है. G23 में शामिल गुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा जैसे बड़े नेताओं के तीखे वार के बाद अब पार्टी में गांधी परिवार के करीबी नेता दबी ज़ुबान से आरोप लगा रहे हैं कि ये नेता इसलिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर नेता इस बात से नाराज हैं कि इन्हें इनकी मर्ज़ी के मुताबिक पद नहीं दिए गए.
आजाद को फिर से राज्यसभा नहीं भेजा गया
गांधी परिवार के करीबी सूत्रों का आरोप है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें राज्यसभा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद पार्टी ने फिर से राज्यसभा नहीं भेजा. वहीं सूत्रों का आरोप है कि राज्यसभा मे विपक्ष के उप नेता आनंद शर्मा उम्मीद लगाए बैठे थे कि आज़ाद के बाद नेता विपक्ष उन्हें बनाया जाएगा मगर पार्टी ने ऐसा ना करके मल्लिका अर्जुन खडगे को ये जिम्मेदारी सौंप दी और यही बात आनंद शर्मा को नागवार गुजरी.
वहीं कांग्रेस सूत्रों का आरोप है कि कपिल सिब्बल इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई और मनीष तिवारी को उम्मीद थी कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री के नाते लोकसभा में नेता की जिम्मेदारी पार्टी उन्हें देगी मगर ऐसा नहीं हुआ. पार्टी ने उस वक्त भी ये जिम्मेदारी मनीष तिवारी को ना देकर पश्चिम बंगाल से वरिष्ठ सांसद अधीर रंजन चौधरी को दे दी थी. सूत्रों के मुताबिक़ मनीष तिवारी के तेवर तब से ही तल्ख है.
उचित जिम्मेदारी ना मिलने से नाराजगी
यही नहीं, सूत्रों का आरोप है कि G23 में शामिल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने से खासा नाराज़ चल रहे हैं. वहीं कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक़ संदीप दीक्षित लंबे समय से इस बात से खफा हैं कि ना तो राहुल गांधी की टीम में उन्हें जगह मिली और ना हीं दिल्ली की राजनीति में अजय माकन के रहते पार्टी ने उन्हें तवज्जो दी.
कुल मिलाकर कर कांग्रेस में गांधी परिवार के करीबी सूत्रों ने अब G23 को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है और सीधा आरोप लगा रहे हैं तकरीबन सभी अनदेखी से ग्रस्त हैं और इस वजह से नेतृत्व कच्ची निशाना बना रहे हैं.
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