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सिर्फ एक जीत की खातिर या कोई बड़ी रणनीति…, त्रिपुंड लगाए कांग्रेस में हार्ड हिंदुत्व का चेहरा क्यों बन गए हैं कमलनाथ?

मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी हिंदुत्व पर भारतीय जनता पार्टी को बढ़त लेने का कोई मौका भी नहीं देना चाहते हैं.

मध्य प्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले है. इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां हर तरीका अपना रही है. एक तरफ जहां फिलहाल सत्ता में बैठी बीजेपी दनादन सरकारी योजनाओं की घोषणा कर जनता के दिलों में अपनी जगह बनाने में लगी है.

तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के सरकारी योजनाओं का भी काट निकालने में लगी हैं और हिंदुत्व पर भी भारतीय जनता पार्टी को बढ़त लेने का कोई मौका भी नहीं देना चाहती है.

दरअसल हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम और कथा में पहुंचे थे. कथा के दौरान कमलनाथ ने कहा भी कि वे हनुमान भक्त हैं और उन्हें हिंदू होने का गर्व भी है.

इस कथा के अगले दिन हिन्दू राष्ट्र को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कमलनाथ ने एक विवादित बयान दे दिया. कमलनाथ ने कहा है कि भारत की 82 फ़ीसदी जनता हिंदू है तो ये कोई कहने कि बात नहीं है, ये हिंदू राष्ट्र तो है ही. 

ऐसे में सवाल उठता है कि कमलनाथ धीरे धीरे हार्ड हिंदुत्व का चेहरा क्यों बनते जा रहे हैं. क्या इसके पीछे सिर्फ चुनाव जीतना ही कारण है या और बड़ी रणनीति भी है? 

कमलनाथ के बयान के सियासी मायने

मध्य प्रदेश कुछ ही महीने में अब विधानसभा चुनाव होने वाले है. बाबा बागेश्वर धाम कई बार हिंदू राष्ट्र, सनातनी धर्म, देश में रहने वाले लोग सनातनी हैं जैसे बयान देते रहे हैं. इन बयानों के कारण ही बाबा बागेश्वर को बीजेपी के हिंदुत्व से जोड़कर देखा जाता रहा है.

ऐसे में उनके कथा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का परिवार सहित पहुंचना और बागेश्वर का पूर्व सीएम का तारीफ करना, एक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. हालांकि कमलनाथ के कथा में जाने और हिंदुत्व को लेकर इतने बड़े बयान एक और चर्चा ने जोर पकड़ ली है और वह यह है कि क्या कमलनाथ कांग्रेस की सेक्युलर राजनीति छोड़ धर्म की राजनीति कर रहे हैं.

हार्ड हिंदुत्व करने के कमलनाथ को कितना फायदा होगा?

बीबीसी की एक रिपोर्ट में इसी सवाल का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष साजिद अली का कहते है कि पूर्व सीएम कमलनाथ को इस तरह विवादित बयानबाजी से बचना चाहिए. अगर उन्हें ऐसा लग रहा है कि वह इस चुनाव में हिन्दुत्व के मोर्चे पर भारतीय जनता पार्टी को सॉफ़्ट हिन्दुत्व से हरा पाएंगे  तो ये उनकी गलतफहमी है. 

साजिद अली आगे कहते हैं,  'कांग्रेस हमेशा से ही सेक्युलर राजनीति करती आई हैं और बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति. ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए कोई स्पेस है."

साजिद आगे कहते हैं, ''कमलनाथ जिस तरह से बयान दे रहे हैं, जनता उनसे ज़्यादा प्रश्न तो दिग्विजय सिंह से करने लगेगी. हां ये सच है कि दिग्विजय सिंह कमलनाथ का खुलकर समर्थन कर रहे हैं लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे और उनके इस तरह के बयानों पर भी दिग्विजय साथ देंगे, मुझे तो नहीं लगता."

साजिद कहते हैं कि "मुझे लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सेक्युलर नेता हैं लेकिन लोकप्रिय राजनीति की बयार में वह भी भटकते दिख रहे हैं. इसके बावजूद मैं कहूंगा कि कमलनाथ एक सेक्युलर नेता हैं."

अब समझते हैं कहां से शुरू हुई सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति

साल 2013 के बाद लगभग 40 विधानसभा और 2 लोकसभा के चुनाव में हार का स्वाद चख चुकी कांग्रेस इन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति लगातार बदलने में लगी है. इसी बदलती राजनीति के दौरान ही कांग्रेस कभी सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते जाती है, तो कभी संविधान और सेक्युलरिज्म के रास्ते. 

कमलनाथ कोई पहले ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने बीजेपी की तरह ही हिंदुत्व की राजनीति कर आगे बढ़ने की कोशिश की हो. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने 'तपस्वी' रूप धारण किया था. इस दौरान उनसे किए गए सवालों के जवाब सुनकर भी इस बात की चर्चा तेज होने लगी था कि क्या राहुल इस पूरे यात्रा में दर्शन और सिद्धांत की ही बात करेंगे या राजनीति भी करेंगे. 

कांग्रेस के रणनीतिकार आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं? 

साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के करारी हार मिलने के बाद सोनिया गांधी ने एके एंटोनी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने उस चुनाव में कांग्रेस के हार का मुख्य कारण उनके मुस्लिम तुष्टिकरण और चुनाव में संगठन के नदारद रहने को बताया. 

इस रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस ने हिंदुओं के मुद्दे को कभी नहीं उठाया. इस रिपोर्ट में राहुल गांधी की छवि को बदलने पर भी जोर दिया गया. 

साल 2017 में गुजरात चुनाव के वक्त कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते आगे भी बढ़ी, लेकिन 2019 के चुनाव में हार के बाद इस पर चर्चा बंद हो गई. 2019 के बाद संजीवनी की आस में कांग्रेस अब फिर से राहुल के चेहरे पर फोकस कर रही है और तपस्वी के सहारे सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ रही है. 

इंडिया गठबंधन कमलनाथ के बयान से खुश नहीं 

कमलनाथ ने हिंदुत्व को लेकर जो बयान दिए उससे विपक्ष का नया गठबंधन है, इंडिया, खुश नहीं दिखाई दे रहा है. गठबंधन में इस तरह के बयान को लेकर विरोध के सुर देखने को मिलने लगे हैं.

कमलनाथ के इस बयान पर तो आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि कमलनाथ इंडिया गठबंधन की विचारधारा के खिलाफ बर्ताव कर रहे हैं और आलाकमान को उन्हें तलब करना चाहिए.

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