नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से तीन मई तक देश में लॉकडाउन बढ़ा दिया है. इस दौरान पीएम ने कहा कि आज पूरे विश्व में कोरोना वैश्विक महामारी की जो स्थिति है, आप उसे भली-भांति जानते हैं. अन्य देशों के मुकाबले, भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए, आप इसके सहभागी भी रहे हैं और साक्षी भी.


पीएम ने बताया कि जब हमारे यहां कोरोना के सिर्फ 550 केस थे, तभी भारत ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन का एक बड़ा कदम उठा लिया था. भारत ने, समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया, बल्कि जैसे ही समस्या दिखी, उसे, तेजी से फैसले लेकर उसी समय रोकने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि भारत ने holistic approach न अपनाई होती, integrated approach न अपनाई होती, तेज फैसले न लिए होते तो आज भारत की स्थिति कुछ और होती. लेकिन बीते दिनों के अनुभवों से ये साफ है कि हमने जो रास्ता चुना है, वो सही है.


प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो अभी ये मंहगा जरूर लगता है लेकिन भारतवासियों की जिंदगी के आगे, इसकी कोई तुलना नहीं हो सकती. सीमित संसाधनों के बीच, भारत जिस मार्ग पर चला है, उस मार्ग की चर्चा आज दुनिया भर में हो रही है.


भारत अमीर देशों से अच्छी स्थिति में क्यों है?


जब 23 मार्च की आधी रात को भारत में लॉकडाउन शुरु हुआ था, उस वक्त देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 500 से भी कम थी. तब देश में 498 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे. लेकिन अगले 20 दिनों में, मामले 20 गुना से अधिक बढ़ गए हैं और अब संक्रमितों की संख्या 10 हजार को पार कर गई है. देश में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के बाद भी इस तरह से मामलों का बढ़ना खतरनाक है लेकिन इन आंकड़ों में कुछ अच्छी खबरें भी छिपी हैं.


10 हजार कोविड-19 के मामले दर्ज करने वाला भारत दुनिया का 22वां देश है. लेकिन अगर पूरी दुनिया के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रति मिलियन भारत में करीब सात लोग संक्रमित हैं तो वहीं अमेरिका में प्रति मिलियन लगभग 1,700 मामले हैं और स्पेन में 3,500 से अधिक मामले हैं. हालांकि भारत में टेस्टिंग का औसत बेहद ही खराब है. भारत में प्रति मिलियन 137 लोगों की ही टेस्टिंग की गई है. लेकिन संक्रमण का जो औसत है उस लिहाज से टेस्टिंग बढ़ने पर भी मामले अन्य देशों की तुलना में उतनी तेजी से नहीं बढ़ेंगे.


तब्लीगी जमात की वजह से कई मामले अचानक सामने आने के बावजूद भी देश में संक्रमण की रफ्तार कम है. हालांकि अब देश में छह दिन से थोड़े ज्यादा समय में मामले दोगुने हो रहे हैं, यह चिंता की बात जरूर है. देश में 7 अप्रैल को कोरोना के पांच हजार मामले हो गए थे. पांच हजार मामले होने में लगभग चार हफ्ते का समय लगा लेकिन एक हफ्ते में ही यह संख्या 10 हजार को पार कर गई. सोमवार को 1200 नए केस आए जो कि एक नए चरण की तरफ इशारा करते हैं.


पिछले कुछ दिनों में भारत के कई राज्यों में कोविड का संकट गहरा गया है. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 2 हजार के पार पहुंच गई. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2334 लोग COVID-19 से संक्रमित हैं और 160 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 352 मामले पिछले 24 घंटे में आए हैं. आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें तो यहां 150 नए मामले आए हैं. हालांकि 217 लोग राज्य में कोरोना वायरस से ठीक भी हुए हैं.


महाराष्ट्र में, मामलों की संख्या पांच दिनों (8 अप्रैल के बाद) दोगुनी हो गई है. इन पांच दिनों में राज्य की मृत्यु दर में 122% की वृद्धि हुई है, जो खतरनाक रूप से 72 से बढ़कर 160 हो गई है.


दिल्ली में भी सोमवार को नए मामलों का एक विस्फोट देखा गया, जो कि ज्यादातर जमात से जुड़ा हुआ है. राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी हाल के दिनों में मामलों में वृद्धि देखी गई है. अब भारत में लॉकडाउन फिर बढ़ा दिया गया है. यहां से तस्वीर साफ होगी कि अब कोरोना वायरस देश में कितनी बड़ी चुनौती बनेगा.


बता दें कि देश में जानलेवा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में दिन पर दिन इजाफा हो रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में अब इस महामारी से संक्रमित मरीजों की संख्या दस हजार के पार पहुंच गई है. मंत्रालय के मुताबिक, अबतक 10 हजार 363 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, 339 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि 1036 लोग ठीक भी हुए हैं.


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