राजस्थान के बाड़मेर में बनी देश की पहली एयरस्ट्रिप की क्यों है जरूरत? एक्सपर्ट से समझिए
बाड़मेर के राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर देश की पहली 'इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' बनी है. पाकिस्तानी सीमा यहां से महज 40 किमी दूरी पर है. युद्ध के समय इनका खास तौर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक घेरा और बढ़ गया है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने गुरुवार को राजस्थान के बाड़मेर में नेशनल हाईवे-925 पर बने 'इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' (ईएलएफ) का उद्घाटन किया. बाड़मेर नेशनल हाइवे-925 पर पहली बार वायुसेना के मिलिट्री ट्रांसपोर्ट की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई. सुखोई-30 फाइटर जेट ने भी दोनों मंत्रियों के सामने ईएलएफ पर मॉक इमरजेंसी लैंडिंग की. एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है जिसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया जाएगा.
एयरस्ट्रिप की क्यों है जरूरत?
ये इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड तीन किमी लंबा है. नेशनल हाईवे-925 के समानांतर ही तीन किमी लंबी एयरस्ट्रिप तैयार की गई है. ये इसलिए तैयार की गई है, अगर युद्ध के समय दुश्मन हमारी एयरस्ट्रिप पर हमला कर देता है या नष्ट कर देता है तो उस वक्त इन इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है. बॉर्डर के करीब एक दर्जन इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड को चिन्हित किया गया है. बाड़मेर के राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर देश का पहली 'इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड' बना है. पाकिस्तानी सीमा यहां से महज 40 किमी दूरी पर है. युद्ध के समय इनका खास तौर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक्सपर्ट रजत मिश्रा ने एबीपी न्यूज ने कहा, 'अभी हमारी एयर फील्ड्स दूरदराज इलाकों में है. पूरा एरिया भी कवर नहीं हो पाता है. इसलिए ये गैप भरने के लिए ऐसी इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड की बेहद जरूरी है. आज की ये एयरस्ट्रिप कल की बहुत बड़ी एयरफिट बन सकती है, जहां से मेजर ऑपरेशन किए जा सकते हैं.'
कितनी लागत आई?
ELF का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है. इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह सम्पन्न हो गया. आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने इसका निर्माण किया है. आपातकालीन लैंडिंग पट्टी का निर्माण 43 करोड़ रुपये में किया गया है, जिसमें 5 करोड़ रुपये में भूमि अधिग्रहण भी शामिल है.
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