चीन के साथ पिछले करीब आठ महीने से लद्दाख में चली आ रही तनातनी के बीच एक तरफ जहां दो मोर्चे पर लड़ाई के लिए भारतीय सेना की तरफ से खास रणनीति बनाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ 15 दिनों के युद्ध के लिए हथियार और गोला बारुद का स्टॉक करने को कहा गया है. तीनों सेनाओं को केन्द्र सरकार की तरफ से दी गई इस छूट को एक बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान नॉर्दर्न एलएसी पर चीन की तरफ से वस्तुस्थिति को बदलने के प्रयास के चलते धरती, समुद्र और आकाश में उच्चस्तरीय तैयारी जरूरी हो गई है. सवाल उठ रहा है कि सीडीएस का ये बयान और उससे पहले युद्ध के लिए साजो-सामान इकट्ठा करने का फैसला, क्या ये आने वाले वॉर की कहीं आहट तो नहीं?
क्या चीन भारत को वॉर के लिए कर रहा है मजबूर?
दरअसल, अगर देखें तो चीन के साथ पिछले आठ महीने के दौरान गतिरोध को खत्म करने के लिए सैन्य से लेकर कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है. चीन लद्दाख सीमा पर करीब 60 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया हुआ है. रूस की राजधानी मॉस्कों में चीनी रक्षा मंत्री के साथ उनके भारतीय समकक्षीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लंबी चर्चा हुई थी. चीनी विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इस बारे में व्यपाक बातचीत हुई. ऐसा लगा भी कि बातचीत के बाद अब गतिरोध खत्म हो सकता है. लेकिन चीन के अड़ियल रुख के चलते समस्या अभी भी वैसी ही बनी हुई है.
क्यों नहीं खत्म हो पा रहा है गतिरोध?
दरअसल, विस्तरवादी नीति की राह पर चलने वाला चीन लगातार उकसावेपूर्ण कार्रवाई से बाज नहीं आ रहा है. हालांकि, उसे भारतीय सेना की तरफ से पूर्वी लद्दाख में करारा जवाब मिलने के बाद उसने कुछ नरमी के संकेत तो दिए लेकिन भारत अपने इस रुख पर कायम है कि चीन को पीछे हटना ही होगा और 5 मई से पूर्व की स्थिति बहाल करनी होगी. चीन के साथ सैन्य स्तर की वार्ता में चरणबद्ध तरीके से सेना को पीछे हटाने पर बनी सहमति के बावजूद वह ना सिर्फ अपने सैनिको को पीछे हटा रहा है बल्कि सीमा पर शांति और स्थायित्व के लिए किए गए समझौतों का उल्लंघन भी लगातार कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह बात कही है कि चीन सीमा पर उल्लंघन को लेकर पांच अलग-अलग बहाने बना रहा है. हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे खारिज करते हुए उल्टा दोष भारत पर मढ़ दिया.
क्यों और बढ़ता जा रहा है तनाव?
दरअसल, भारत और चीन के बीच आठ महीने के दौरान हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. भारत ने चीन के मोबाइल एप समेत उसकी कंपनियों का बहिष्कार किया है. उसकी कई कंपनियों को यहां से जाने पर मजबूर होना पड़ा है. चीन लगातार इसको लेकर डब्ल्यूटीओ में जाने की भारत को गीदड़भभकी दे रहा. लेकिन, भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. उल्टा भारत ने चीन के सामने उतनी ही तादाद में पूर्वी लद्दाख में फौज और गोला-बारूद तैनात कर दिया है. ऐसे में पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़े चीन के नापाक मंसूबों को भांपते हुए भारत ने 15 दिनों के लिए युद्ध के स्टॉक रखने का फैसला किया है. पहले तीनों सेनाएं सिर्फ 10 दिनों के युद्ध के लिए गोलाबारूद स्टॉक करती थीं. देश के अलावा विदेश से भी 50 हजार करोड़ रुपये के हथियार खरीदने की बड़ी योजना है. जानकारों को मानना है कि अगर युद्ध की सूरत बनती है तो निश्चित तौर पर चीन के साथ पाकिस्तान भी युद्ध के लिए कूद सकता है, ऐसे में भारत को इस तैयारी के साथ भी उतरना होगा.
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