PM Modi On Aizawl Air Force Attack: मणिपर हिंसा को लेकर विपक्ष के लाए अविश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार (10 अगस्त) को जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस को आढ़े हाथ लिया. इस दौरान उन्होंने मिजोरम से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस ने 5 मार्च 1966 को मिजोरम की असहाय जनता पर वायुसेना से हमला करवाया था. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कांग्रेस से पूछा कि इस हमले में जो लोग मारे गए, वे देश के नागरिक नहीं थे क्या?
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने निर्दोष नागिरकों पर हमला करवाया और कभी भी पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने को कोशिश नहीं की और हमें उपदेश दे रहे हैं. पीएम मोदी के भाषण के बाद अब देशभर में इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर वह घटना क्या है और उस दिन क्या हुआ था? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर उस दिन क्या हुआ था और क्या सच में भारतीय वायु सेना ने मणिपुर में हमला किया था.
MNA का विद्रोह
आज से लगभग 57 साल पहले भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश का पीएम बनने के एक महीने बाद उत्तर पूर्व में विद्रोह का सामना कर रही थीं. जानकारी के मुताबिक 28 फरवरी 1966 को मिजो नेशनल आर्मी (MNA) ने भारत के खिलाफ विद्रोह कर दिया और क्षेत्र में लड़ाई शुरू हो गई. इस बीच मिजो नेशनल फ्रंट ने भारत से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.
आइजोल पर एमएनए का कब्जा
2 मार्च 1966 एमएनए ने आइजोल के खजाने और शस्त्रागार पर भी कब्जा कर लिया और अब वह असम राइफल्स के मुख्यालय पर पहुंच गया था. इस दौरान उसने आइजोल के दक्षिण में कई छोटे शहरों पर भी कब्ज़ा कर लिया. इतना ही नहीं जब सेना ने हेलीकॉप्टर की मदद से सैनिकों और हथियारों को ले जाने की कोशिश की तो एमएनए स्नाइपर्स ने उन्हें खदेड़ दिया.
भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई
5 मार्च 1966 को वायु सेना के विमानों ने आइजोल को घेर लिया और भारी मशीन गन से हमला किया. अगले दिन यह हमले और तेज हो गए. इस घटना में कई निर्दोष लोगों की मौत हो गई और शहर के चार सबसे बड़े क्षेत्र पूरी तरह से नष्ट गए. इन शहरों में रिपब्लिक वेंग, हमीचे वेंग, डावरपुई वेंग और छिंगा वेंग शामिल थे.
घर छोड़ कर भागे लोग
वायु सेना की ओर से हुए हमले को देखते हुए स्थानीय लोग दहशत में अपने घर छोड़कर पहाड़ियों में भाग गए. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि उस समय आइजोल शहर में आग लग गई थी. इस कारण केवल 13 नागरिक मारे गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वायु सेना ने हमले में जिन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था, उनमें फ्रांस में निर्मित डसॉल्ट ऑरागन और ब्रिटिश हंटर्स शामिल थे.
विमान को किसने उड़ाया
शिलांग से तत्कालीन लोकसभा सांसद जॉर्ज गिल्बर्ट स्वेल ने कहा कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी ने आइजोल के ऊपर लड़ाकू विमान उड़ाए और शहर पर बमबारी की. बाद में पायलट और कलमाड़ी कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और फिर कांग्रेस सरकार में सांसद और मंत्री रहे.
हमले के बाद भी जारी रहा विद्रोह
यह पहला और एकमात्र मौका था, जब भारत में अपने ही नागरिकों पर हमला करने के लिए वायु सेना का इस्तेमाल किया गया था. हमले से भले ही आइजोल पर एमएनएफ का कब्जा खत्म हो गया, लेकिन विद्रोह समाप्त नहीं हुआ. यह विद्रोह अगले 20 सालों तक चला.
शांति बहाल करने की कोशिश
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शांति बहाल करने के लिए एमएनएफ का प्रतिनिधित्व करने वाले मिजो अलगाववादियों और मुख्यमंत्री लालडेंगा से बातचीत की. इसके बाद 1986 में मिजोरम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, हालांकि, उस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे. शांति समझौते ने 1986 में मिजोरम विद्रोह को समाप्त कर दिया और 1987 में मिजोरम का गठन हुआ.
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