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साल 2023 क्यों है भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अहम, क्या ये नए दौर की शुरुआत होगी?

साल 2023 में कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे  9 प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इन राज्यों में लोकसभा की 116 सीटें हैं.

2023 आने में अब महज 2 दिन ही बचे हैं. इस साल 9 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक तरफ जहां राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' से लोगों से जुड़ने की कोशिश में लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी जोरशोर से तैयारियों में जुटी है.

इन राज्यों में होने जा रहे ये विधानसभा चुनाव इस लिहाज से भी अहम है कि इनके ठीक बाद 2024 का सियासी संग्राम यानी लोकसभा चुनाव होना है. इस हिसाब से ये साल भारत की राजनीति के लिए खासी अहमियत रखता है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी ये कम महत्वपूर्ण नहीं है. यहां साल 2023 में आने वाले इन अहम मौकों और घटनाओं पर हम एक नजर डालेंगे. 

9 राज्यों के विधानसभा चुनाव

साल 2023 में कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़  9 प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाला है. इन राज्यों में लोकसभा की कुल 116 सीटें हैं. इस चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस के साथ अन्य सभी पार्टियां बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयारियों के लिए कमर कस रही है. तो मीडिया इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सेमीफाइनल की तरह देख रहा है. 

यहां ये भी साफ है कि जिस पार्टी का प्रदर्शन विधानसभा में बेहतर हो जरूरी नहीं कि जनता उसे ही आम चुनाव के दौरान भी पसंद करे. साल 2018 और 2019 में कई ऐसी पार्टियां थी जिसे बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में तो हरा दिया था, लेकिन वह लोकसभा चुनावों में वापस आ गए. वहीं दूसरी तरफ देश की आर्थिक स्थिति को देखें तो ये भी लग रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में ज्यादातर पार्टियां जनता को लुभाने के लिए  मुफ्त बिजली, पानी जैसे स्कीमों की पेशकश करेंगी.

सरकार की रणनीति 

मोदी सरकार के पास अगले साल चुनाव के दौरान एक तुरुप का पत्ता है, और वो है फरवरी 2024 में पेश किए जाने वाला बजट. इस बजट में मोदी सरकार जमकर जनता के लिए लोक-लुभावने वादे करेगी.

पिछले चुनाव के दौरान जब सरकार ने बजट पेश किया था तो अधिकांश कर रियायतें दी थीं. इस बार भी सरकार कोई बड़ा दांव खेल सकती है.

गौरतलब है कि साल 2014 में केंद्र में पीएम मोदी सरकार आने से पहले तक बजट आमतौर पर फरवरी महीने के आखिर में पेश किया जाता था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस परंपरा को बदलकर आम बजट पेश करने की तारीख 1 फरवरी कर दी. इसका फायदा भी मोदी सरकार को मिलेगा. अगले साल जब चुनाव आयोग अलग-अलग राज्यों में होने वाले चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा तो भी इसका असर सरकार के बजट में किए गए लुभावने वादों पर नहीं पड़ेगा.

बजट की तारीख एक फरवरी होने से नरेंद्र मोदी सरकार चुनाव आयोग की लागू की जाने वाली आदर्श आचार संहिता से किसी भी तरह के टकराव की स्थिति से बच जाएगी. इसके अलावा सत्तारूढ़ सरकार नौकरी देने का वादा कर सकती है. किसानों के लिए भी कर्जमाफी और MSP पर बड़ा फैसला ले सकती है. साल 2019 में, बीजेपी ने किसानों के लिए किसान सम्मान निधि और वरिष्ठ नागरिकों के लिए उच्च करों में कटौती की घोषणा की थी, जिससे उसे लाभ मिला था.

हालांकि बीजेपी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना की मार से उबरने की है. इस बार आर्थिक तंगी के कारण मोदी सरकार को कोविड से जुड़ी मुफ्त खाद्यान्न योजना को बंद करने पर मजबूर होना पड़ा है. उसने इसकी भरपाई खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिए जाने वाले मुफ्त राशन से की है लेकिन यह कितना फायदेमंद साबित होगा यह वक्त बताएगा.  जो भी स्थिति हो सभी राजनीतिक पार्टियां जनता को आर्थिक उपहारों का लालच देकर सत्ता पर काबिज होना चाहेंगी. 

विपक्ष की रणनीति 

विपक्षी पार्टियां फ्रीबिज पर ध्यान देगी क्योंकि मंदी के दौर में जनता से लुभावने वादे कर वो उनको अपने पक्ष में आसानी से कर सकती हैं. पार्टियों के लिए सबसे बड़ा दांव किसानों की कर्ज माफी होगी. इसके अलावा विपक्ष एससी/एसटी के लिए आरक्षण का लोभ भी दे सकती है.

किन राज्यों में हैं चुनाव?

साल 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं. जम्मू-कश्मीर में भी संभावित माना जा रहा है.

इन राज्यों में पार्टियों की क्या है स्थिति?

  • मेघालय में कुल दो लोकसभा सीटें हैं और दोनों ही बीजेपी के पास नहीं हैं. यहां एक सीट कांग्रेस तो एक सीट एनपीपी के पास है.  विधानसभा में भी बीजेपी की स्थिति कुछ खास नहीं है. 60 विधानसभा सीटों वाले मेघालय में बीजेपी के पास 9.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सिर्फ 2 सीटें हैं.
  • 2023 के मई महीने में कर्नाटक विधानसभा चुनाव भी होने जा रहा है. साल  2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां सबका पत्ता साफ कर दिया था. 28 सीटों में से बीजेपी 25 पर जीत हासिल की थी. वहीं 224 विधानसभा सीटों वाले राज्य में बीजेपी के पास 104 सीटें हैं. बीजेपी को आखिरी विधानसभा चुनाव में 36.4 प्रतिशत वोट मिला था.
  • राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में साल के आखिर में नवंबर महीने में चुनाव होंगे. राजस्थान में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है. यहां बीजेपी के लिए चुनौती काफी बड़ी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 200 में से सिर्फ 73 पर जीत मिली थी.
  • बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर भी होगी. एक राज्य में जहां बीजेपी सरकार चला रही है, वहीं  दूसरे राज्य में कांग्रेस ने पैर जमा रखे हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी के पास 28 लोकसभा सीटें हैं तो वहीं छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास 9 लोकसभा सीटें हैं. हालांकि, विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल सकती है, क्योंकि एमपी में बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस को भी 41 प्रतिशत के करीब वोट मिला था. ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी. छत्तीसगढ़ में तो बीजेपी का बुरा हाल हुआ था. यहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 15 सीटों पर जीत मिली थी. 

2023 अर्थव्यवस्था के लिए क्यों अहम

अंतरराष्ट्रीय इनवेस्टमेंट बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस फर्म गोल्डमैन सैक्श की ओर से भारत की इकोनॉमी को लेकर चिंता वाली खबर आई है. गोल्डमैन सैक्श ने भारत की ग्रोथ के अनुमान को कम कर दिया है. इस फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2023 में अपनी तेजी से बढ़ती आर्थिक विकास की रफ्तार को खो सकती है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी थी, लेकिन आगे इसमें गिरावट देखी जाने की आशंका जताई गई है. 

भारत में आगे चलकर घटेगी महंगाई दर

हालांकि उन्होंने भारत की महंगाई दर के घटने का भी अनुमान दिया है जो एक अच्छा संकेत है. देश में रिटेल महंगाई की दर अगले साल (वित्त वर्ष 2023 में) घटकर 6.1 फीसदी पर आने का अनुमान दिया गया है जबकि इस साल यह 6.8 फीसदी पर रहने की संभावना है.

रिजर्व बैंक जारी रखेगा ब्याज दरों में इजाफा

गोल्डमैन सैक्श ने कहा है कि भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) देश में महंगाई कम करने के प्रयासों में आगे भी ब्याज दरों में इजाफा करेगा. RBI दिसंबर में एक बार फिर से ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है. इसके बाद फरवरी में भी नीतिगत ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है. अगर इसी तरह हुआ तो रेपो रेट जो मौजूदा 5.9 फीसदी है वो बढ़कर 6.75 फीसदी पर आ जाएगा.

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