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Yamuna River: हरियाणा से लेकर दिल्ली तक क्या है यमुना की स्थिति, आख़िर क्यों सूख रही है नदी?

Yamuna River: यमुना के जल स्तर में आयी इस कमी को लेकर चिंता अब इस बात को लेकर बढ़ गई है कि अगर मई के महीने में ये हालात है तो जून के महीने में क्या होगा?

Yamuna River: दिल्लीवालों को इन दिनों पानी की भारी क़िल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इसके पीछे की वजह भीषण गर्मी तो है ही लेकिन दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक़ यमुना नदी के पानी के सूख जाने की वजह से भी दिल्ली में पानी का प्रोडक्शन काफ़ी कम हो गया है जिसकी वजह से दिल्ली वालों को ये परेशानी झेलनी पड़ रही है. दरअसल दिल्ली सरकार का दावा है कि हरियाणा सरकार की तरफ़ से हथिनीकुंड बैराज से जितना पानी दिल्ली के लिये यमुना नदी में छोड़ा जाना चाहिये, इतना पानी नहीं छोड़ा जा रहा है जिसकी वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वज़ीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का प्रोडक्शन 40% तक कम हो गया है. 

दिल्ली सरकार का कहना है कि अगर पानी इसी तरह कम छोड़ा जाता रहा तो धीरे-धीरे ये ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से काम करना बंद कर देंगे. यमुना के जल स्तर में आयी इस कमी को लेकर चिंता अब इस बात को लेकर बढ़ गई है कि अगर मई के महीने में ये हालात है तो जून के महीने में क्या होगा?  यही वजह है कि दिल्ली सरकार और हरियाणा सरकार के बीच पानी को लेकर विवाद भी अब शुरू हो गया है. दरअसल दिल्ली सरकार का आरोप है कि हरियाणा की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली के हक़ का पानी नहीं छोड़ा जा रहा जिसकी वजह से दिल्ली में यमुना नदी सूखी हुई नज़र आ रही है. जबकि हरियाणा सरकार का कहना है कि उन्हें जितना पानी दिल्ली के लिये छोड़ना चाहिये उतना लगातार छोड़ा जा रहा है लेकिन दिल्ली सरकार के मिसमैनजमेंट की वजह से पानी की समस्या लोगों को झेलनी पड़ रही है. दोनों सरकारों के इन्ही दावों की हक़ीक़त जानने के लिये ABP न्यूज़ की टीम ने दिल्ली से हरियाणा तक का सफ़र तय किया. इस सफ़र के दौरान हमने ये जानने की कोशिश की कि क्या वाक़ई हरियाणा की तरफ़ से पानी सही मात्रा में छोड़ा जा रहा है? और अगर जवाब हां है तो वो पानी आख़िर दिल्ली में यमुना में क्यो नज़र नहीं आता? 

दिल्ली में क़रीबन 900 क्यूसेक पानी रोज़ाना छोड़ा जाता है

अपनी इस पड़ताल के लिये हम सबसे पहले पंहुचे हरियाणा के हथिनिकुंड बैराज पर. ये बैराज इसलिये महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसी बैराज से हरियाणा, दिल्ली के लिये पानी रिलीज़ करता है. जब इस बैराज पर हम पंहुचे तो बैराज के एक तरफ़ पानी काफ़ी भरा हुआ नज़र आया, देखकर लग रहा था मानो पानी की कोई कमी ही नहीं है और इसी बैराज से दिल्ली के लिये पानी भी घीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है. बैराज के पास अब आपको उस जगह पर लेकर चलते हैं जिस जगह से दिल्ली के लिये पानी की सप्लाई की जाती है. बैराज के पास बनी ये वो जगह है जहां पर पानी को दो हिस्सों में बांटा जाता है. पहला हिस्सा है वेस्टर्न यमुना कैनाल का जिसके ज़रिये दिल्ली में क़रीबन 900 क्यूसेक पानी रोज़ाना छोड़ा जाता है.  दिल्ली को क़रीबन 90 प्रतिशत पानी इसी नहर के ज़रिये मिलता है. इसकी तस्वीर देखकर लगा कि नहर में पानी की कोई कमी नहीं है, जितना पानी छोड़ा जाना चाहिये उतना लगातार रिलीज़ भी किया जा रहा है. अब इसके दूसरे हिस्से की बात करें तो ये हिस्सा है यमुना नदी में पानी छोड़े जाने का. सरकारी डेटा के मुताबिक़ हरियाणा की तरफ़ से रोज़ाना इस जगह से 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जो यमुना नदी के ज़रिये दिल्ली तक पंहुच जाता है. इसी पानी से यमुना नदी भी भरती है और इसी पानी से दिल्ली वालों को क़रीबन 10% पीने का पानी भी मिलता है. 

हरियाणा सरकार 352 क्यूसेक पानी इसलिये भी छोड़ती है क्योंकि NGT के एक आदेश के मुताबिक़ यमुना नदी का अस्तित्व बना रहे इसके लिये इतनी मात्रा में हरियाणा द्वारा पानी छोड़ा जाना बेहद ज़रूरी है. लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश ये भी कहता है कि इस जगह से हरियाणा सरकार को रोज़ाना इतना पानी छोड़ना होगा, जिससे दिल्ली के वज़ीराबाद पर बना पानी का तालाब 674.05 फ़ीट तक भरा रहे, क्योंकि इसी तालाब के पानी से दिल्ली के तीन ट्रीटमेंट प्लांट वज़ीराबाद, चंद्रावल और ओखला  प्लांट के ज़रिये पानी प्रोड्यूस कर दिल्ली में पानी की सप्लाई की जाती है. लेकिन दिल्ली सरकार का आरोप है कि हरियाणा की तरफ़ से पानी कम छोड़े जाने की वजह से वज़ीराबाद तालाब का पानी सामान्य से 8 फ़ीट तक नीचे चला गया है और इस वजह से तीनों ट्रीटमेंट प्लांट 40% कम पानी प्रोड्यूस कर पा रहे है. दोनों राज्य सरकारों के बीच लड़ाई इसी बात को लेकर बनी हुई है.


Yamuna River: हरियाणा से लेकर दिल्ली तक क्या है यमुना की स्थिति, आख़िर क्यों सूख रही है नदी?

यमुना नदी का ज़्यादातर हिस्सा सूखा

जिस तरह से लगातार यमुना में पानी छोड़ा जा रहा है तो ऐसे में यमुना नदी में पानी की बिल्कुल भी कमी नहीं रहनी चाहिए लेकिन इस जगह से 50 किलोमीटर दूरी पर तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई है. दरअसल जब हमारी टीम हरियाणा के हथिनिकुंड बैराज से निकलकर दिल्ली की तरफ़ 50 किलोमीटर चलने के बाद कलानौंर गांव के पास पंहुची तो यहां यमुना की तस्वीर बेहद हैरान कर देने वाली नज़र आयी. इस जगह पर यमुना नदी का ज़्यादातर हिस्सा सूखा हुआ नज़र आया और सिर्फ़ एक किनारे पर ही नदी का ठहरा हुआ पानी नज़र आया. इस दौरान हमारे साथ चल रही दिल्ली जल बोर्ड की टीम ने बताया  कि 50 किलोमीटर पर ही ये हाल है तो आप अंदाज़ा लगा सकते है कि हथिनिकु्ंड बैराज से दिल्ली के वज़ीराबाद बैराज तक जिसकी दूरी नदी के ज़रिये क़रीबन 228 किलोमीटर की है वहां तक कितना पानी पंहुच पाता होगा. पानी के यहां पर सूखने की कई वजहें बताई गई. एक वजह ये कि गर्मी  की वजह से भी पानी सूख रहा है, दूसरा ये कि हरियाणा सरकार जितना पानी आंकड़ों में बता रही है उतना पानी नहीं छोड़ा जा रहा है और एक बड़ी वजह ये कि कई जगह यमुना पर जो खनन बढ़ता जा रहा है उसकी वजह से भी पानी कई जगहों पर रुक जाता है आगे नहीं बढ़ पाता. 

इस पर IIT की एक पुरानी सर्वे रिपोर्ट कहती है कि हथिनिकुंड बैराज से जो पानी यमुना में दिल्ली के लिये छोड़ा जाता है उसका सिर्फ़  50% पानी ही दिल्ली तक पंहुच पाता है. ऐसे में अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो अगर हरियाणा से 352 क्यूसेक पानी रोज़ाना छोड़ा जा रहा है तो इसका आधा क़रीबन 175 क्यूसेक पानी ही दिल्ली तक पंहुच पायेगा लेकिन दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक़ इन दिनों इतना पानी भी दिल्ली तक नहीं पंहुच पा रहा है. पानी पंहुचने की मात्रा शून्य हो चुकी है. 

खेल के मैदान में तब्दील हो चुकी है यमुना नदी

दिल्ली में यमुना की स्तिथि का जायज़ा लेना था जिसके लिये टीम दिल्ली वापस  पंहुची लेकिन हरियाणा से दिल्ली तक यमुना की स्थिति दिखाते-दिखाते हमारी टीम जब दिल्ली पंहुची तो शाम हो चुकी थी. लेकिन इस दौरान भी जब हमने यमुना नदी का प्रवेश जिस जगह से दिल्ली में होता है वो जगह देखी तो यमुना में पानी की जगह सिर्फ़ रेत नज़र आया, पानी पूरी तरह सूख चुका था. रात के अंधेरे में भले ही आपको तस्वीर साफ़ नज़र नहीं आयी होगी लेकिन अब हम आपको दिन के उजाले कि तस्वीर भी दिखाते है. ये तस्वीर है दिल्ली के वज़ीराबाद बैराज की जहां पर यमुना नदी सूखने के बाद अब बच्चों के एक खेल के मैदान में तब्दील हो चुकी है, कुछ लोग इस जगह स्कूटर दौड़ा रहे है तो कुछ लोग ऐसे घूम रहे है मानों यहां कभी कोई गहरी नदी ही ना रही हो. बस एक किनारे पर थोड़ा पानी ज़रूर नज़र आता है लेकिन ये पानी पहले से जमा पानी है जो बैराज बंद होने की वजह से रुका पड़ा है. अगर यही स्थिति रही तो ये पानी भी पूरी तरह जल्द विलुप्त हो जायेगा. 


Yamuna River: हरियाणा से लेकर दिल्ली तक क्या है यमुना की स्थिति, आख़िर क्यों सूख रही है नदी?

अब थोड़ा ये भी समझ लीजिये कि आख़िर यमुना नदी के पानी के सूख जाने की वजह से दिल्ली में पानी की सप्लाई पर कितना असर पड़ रहा है. 

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक़ हरियाणा से यमुना में 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है जो दिल्ली तक पहुंचते-पहुंचते क़रीबन 120 क्यूसेक पानी तक पंहुचना चाहिए लेकिन दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक़ इन दिनों इतना पानी भी नहीं पंहुच पा रहा है. अगर ये पानी पंहुचे तो ये  कुल 65 एमजीडी पानी होता है. नियम के अनुसार, एक एमजीडी पानी 20 हजार लोगों के लिए पर्याप्त होता है, यानी हरियाणा द्वारा यमुना में पानी नहीं छोड़े जाने से दिल्ली की 13 लाख आबादी प्रभावित हो रही है. इस 65 एमजीडी पानी की कमी से दिल्ली के 3 बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोडक्शन में करीब 40 फीसदी की कमी आ गई है और इससे नॉर्थ दिल्ली, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली, सेंट्रल दिल्ली और एनडीएमसी के इलाकों में पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है. जल बोर्ड का ये भी कहना है कि अगर पानी इसी तरह आगे भी बिल्कुल नहीं पंहुता तो ये ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से बंद भी हो सकते है और दिल्ली वालों की परेशानी दोगुना बढ़ सकती है. 

 

यमुना नदी का पानी सूख जाने के पीछे दिल्ली जल बोर्ड ने दो वजहें बतायी है. पहला रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का पड़ना और दूसरी सबसे बड़ी वजह हरियाणा सरकार का दिल्ली के हिस्से का पानी यमुना नदी में ना छोड़ना. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भरद्वाज ने कहा कि दिल्ली में पानी की क़िल्लत इसलिये बढ़ गई है क्योंकि यमुना का पानी सूख चुका है और इसका सबसे बढ़ा कारण हरियाणा द्वारा दिल्ली के हक़ का पानी नहीं छोड़ा जाना है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जल बोर्ड की तरफ़ से इसके लिये हरियाणा सरकार को चिट्ठी भी भेजी गई है और हरियाणा सरकार से जल्द पानी रिलीज़ करने की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि अगर हालात यही रहे तो आगे पानी की क़िल्लत बढ़ सकती है. हालांकि सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर प्री-मानसून की बारिश होती है या मानसून थोड़ा जल्दी आता है तो ये समस्या भी दूर हो जायेगी. 

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