नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नतृत्व में हर साल 21 जून को देश और दुनिया के कई कोनों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. इस साल भी यह बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा. योग दिवस आने से कई दिनों पहले से ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए लोगों को योग का महत्व समझा रहे हैं. ऐसे में आपके दिमाग में एक प्रश्न जो आ रहा होगा वह यह कि आखिर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों और कब से मनाया जाता है. आज हम आपको योग और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दोनों के बारे में बताने जा रहे हैं.
योग शब्द कहां से आया
ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है. योग के विज्ञान की उत्पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, पहले धर्मों या आस्था के जन्म लेने से काफी पहले हुई थी. योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है. योग मुख्यतः संस्कृत का शब्द है. इसकी उत्पात्ति ऋग्वेद से हुई है. ऋग्वेद में योगा की व्याख्या करते हुए यह बताया गया है कि वह शक्ति जिससे हम अपने मन, मस्तिष्क और शारीर को एक सूत्र में पिरो सकते हैं वह योग है.
21 जून को क्यों मनाते हैं योग दिवस
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की. इसके बाद 2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है. कहते हैं कि योग दिवस 21 जून को मनाने के पीछे कारण यह है कि यह दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है और धरती पर सूर्य ज्यादा समय तक रहा है.
उत्तरी गोलार्ध पर आमतौर पर 20, 21 और 22 जून को सबसे ज्यादा सूर्य की रोशनी पड़ती है. इसी तरह दक्षिण गोलार्ध पर 21, 22 और 23 दिसंबर को सबसे ज्यादा सूर्य की रोशनी पड़ती है. इस तारीख के बाद दिन छोटे होने लगते हैं और गोलार्ध दक्षिण की ओर जाने लगता है जिसे भारतीय संस्कृति में शुभ माना जाता है. सबसे लंबा दिन और दक्षिण गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश होने के कारण इसी दिन योग दिवस मनाया जाता है. इसके अलावा भारत में 21 जून ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन भी होता है.
पहली बार योग दिवस साल 2015 में मनाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस मनाने की घोषणा के बाद राजपथ पर पीएम मोदी 35 हजार लोगों का उपस्थिति में योगासन करते हुए योग दिवस मनाया था.
विदेशों में योग
वैसे तो योग का जनक भारत ही है लेकिन विदेशों में इसके प्रचार-प्रसार का श्रेय मुख्यतः स्वामी विवेकानंद को दिया जाता है. स्वामी विवेकानंद अक्सर विदेशों में भारत की वैदिक संस्कृति के बारे में लोगों को बताते रहते थे. इसके बाद धीरे-धीरे विदेशी लोगों ने योग को समझा और साल 1980 तक पश्चिमी देशों में कई योग शिविरों का आयोजन होने लगा था. कुछ समय बाद ही वहां के लोग योगा को शारीरिक और मानसिक मजबूती के लिए बहुत जरूरी मानने लगे थे.
हर साल होता है योग दिवस का थीम
2015: सद्भाव और शांति के लिए योग
2016: युवाओं को कनेक्ट करें
2017: स्वास्थ्य के लिए योग
2018: शांति के लिए योग
2019: पर्यावरण के लिए योग
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