जानें क्यों निजी क्षेत्र के कॉलेजों में गरीब सवर्णो के लिए आरक्षण लागू करना मुश्किल है
एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल इसे लागू करा पाना संभव नहीं दिखता यानी इसमें अभी लंबा वक्त लगेगा.
नई दिल्ली: गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने वाला गुजरात पहला राज्य बन गया है. कई और बीजेपी शासित राज्य जल्द इसका एलान कर सकते हैं. इस कानून के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. लेकिन इस आरक्षण का एक सबसे अहम पहलू निजी क्षेत्र के कॉलेजों में सवर्णो के लिए आरक्षण है.
एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल इसे लागू करा पाना संभव नहीं दिखता यानी इसमें अभी लंबा वक्त लगेगा.
एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा वक्त में भी निजी कॉलेजों में आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं है. इससे जुड़े कुछ मामले अदालत में चल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट कॉलेजों में इस आरक्षण के लिए देशभर में करीब 10 लाख सीटें बढ़ानी होंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राइवेट कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का वादा कर चुके हैं, लेकिन प्राइवेट संस्थान में ऐसा करने में वक्त लगेगा.
हायर एजुकेशन पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, देश में कुल 903 विश्वविद्यालय, 39 हजार से अधिक कॉलेज और 10 हजार से अधिक शिक्षण संस्थान हैं. इससे जुड़ा दूसरा सच ये है कि AICTE ने इसी साल अप्रैल में करीब 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने का निर्देश दिया है. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी AICTE ने ये फैसला इसलिए किया है, क्योंकि इन कॉलेजों में छात्रों की संख्या लगातार घटती जा रही है.
सच ये है कि कम नौकरियों के कारण पहले से चल रहे निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र घट रहे हैं, ऐसे में सीटें बढ़ाने का फैसला कैसे लागू होगा और जब तक ये शरू नहीं होता तब तक आरक्षण लागू कर पाना बेहद मुश्किल है.
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