India-Canada Tension: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर बेबुनियाद आरोपों को दोहराया है. इसके चलते भारत और कनाडा के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. बीते साल से ही कनाडा की ट्रूडो सरकार भारत पर गंभीर आरोप लगा रही है.


इस साल हुए चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी मॉन्ट्रियल में हार गई थी. इसके बाद से ही कनाडा की ट्रूडो सरकार खालिस्तान समर्थक सांसद जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से चल रही है.


क्यों भारत के खिलाफ हो गए हैं ट्रूडो?


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो की भारत के प्रति आक्रामकता की वजह कनाडा के पीएम की घरेलू स्तर पर गिरती लोकप्रियता रेटिंग और उनके खिलाफ बढ़ता असंतोष है. इसके साथ ही उनका ये रुख सियासी रूप से महत्वपूर्ण सिख समुदाय को लुभाने के लिए उनकी जरूरत के तौर पर देखा जा रहा है.


दरअसल, संघर्षरत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और बढ़ती अपराध दर की शिकायतों के बीच इप्सोस पोल ने दिखाया कि केवल 26% लोगों ने ट्रूडो को सर्वश्रेष्ठ पीएम के रूप में माना है. जो कि अभी कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलिएवर से 19% कम है. 


सिख है कनाडा का चौथा सबसे बड़ा जातीय समुदाय 
कनाडा में 7.7 लाख से अधिक सिख हैं, जो वहां का चौथा सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जिसमें एक वर्ग खालिस्तान की मांग का समर्थन करता है. खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों पर ट्रूडो की नीति को लेकर भारत हमेशा से ही सशंकित रहा है.


साल 2018 में कनाडा के हाई कमीशन में बिजनेस मैन जसपाल अटवाल को डिनर के लिए आमंत्रित किया था, जो 1986 में पंजाब के एक मंत्री की हत्या की साजिश रचने के मामले में आरोपी था. हालांकि, विवाद के बाद इस डिनर के निमंत्रण को वापस ले लिया गया था.  


जी20 शिखर सम्मेलन के बाद कनाडा के पीएम ने भारत पर लगाए आरोप 
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 40वीं वर्षगांठ पर ओंटारियो और टोरंटो में जुलूसों में 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा की गई हत्या को दर्शाती झांकियां देखी गईं. कनाडा सरकार ने खालिस्तान पर जनमत संग्रह को रोकने से इनकार कर दिया, जिसका समर्थन सिख फॉर जस्टिस ने किया था.


जून 2023 में ट्रूडो की ओर से सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में 'भारतीय एजेंट' के शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद रिश्ते खराब हो गए. सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद नई दिल्ली से लौटने के तुरंत बाद कनाडाई पीएम ने ये आरोप लगाए थे. इस पर भारत ने इसका खंडन करते हुए इससे संबंधित ठोस सबूत की मांग की, जिसे कनाडा ने देने से इनकार कर दिया. 


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