जानिए- क्यों दफनाया जाएगा डीएमके के दिवंगत नेता एम करुणानिधि को?
द्रविड़ों के प्रति आपार संवेदना रखने वाले राजनीतिक शख्सियत के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को ब्राह्मणवादी परंपरा के विरुद्ध, जलाए जाने के बजाए दफनाने की परंपरा चली आई है. इस वजह से एम करुणानिधि के पार्थिव शरीर को भी दफनाया जाएगा.
नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने विपक्षी पार्टी डीएमके को उसके दिवंगत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के समाधि स्थल के लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया है. हालांकि, देश के पहले गवर्नर जनरल और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री सी राजगोपालचारी और के कामराज के स्मारकों के समीप जगह देने की पेशकश की है. सरकार के इस कदम पर विवाद पैदा हो गया है. माना जाता है कि डीएमके समाधि स्थल के लिए मरीना बीच इसलिए चाहती क्योंकि यहीं पर द्रविड़ के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की समाधि है.
भारत में हिंदुओं के अंतिम संस्कार में उन्हें जलाने की परंपरा रही है, लेकिन ऐसा क्यों है कि करुणानिधि को दफनाया जाएगा?
एम करुणानिधि को क्यों दफनाया जाएगा?
तमिलनाडु में अन्नादुरै की प्रतिनिधित्व में बनी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी डीएमके राज्य की राजनीति में द्रविड़ सामज के प्रति वैचारिक महत्व रखती है. पार्टी के मुखिया रहे अन्नादुरै का द्रविड़ आंदोलन में बड़ा नाम रहा है, अन्ना वैचारिक तौर पर हमेशा ब्राह्मणवादी परंपरा के विरोधी रहे. यही कारण था हिन्दू होने के बावजूद उनके निधन के बाद अन्ना के पार्थिव शरीर को जलाने के बाजाए चेन्नई के मरीना बीच पर दफनाया गया.
अन्नादुरै द्वारा बनाई की गई पार्टी डीएमके में तमिल राजनीति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले दो नाम- एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और एम करुणानिधि शामिल हैं. दोनों नेता तमिलनाडु की राजनीति में कद्दावर नेता के तौर पर जाने गए. शासन के पक्ष में दोनों नेताओं ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की कमान भी संभाली. अन्नादुरै की मृत्यु के बाद एम करुणानिधि ने डीएमके की कमान संभाली. हालांकि, कुछ मदभेदों और टकराओं के बाद एमजीआर ने अगल पार्टी एआईएडीएमके का गठन किया.
एमजीआर के निधन के बाद उनते पार्थिव शरीर को मरीना बीच पर उनके राजनीति गुरु रहे अन्नादुरै की समाधि के निकट दफनाया गया. साल 2016 में तमिलनाडु की मुख्ममंत्री और एआईएडीएमके की मुखिया रह चुकीं जयललिता के निधन बाद उनके भी पार्थिव शरीर एमजीआर की समाधि के पास दफनाया गया था.
चूंकि एम करुणानिधि भी तमिलनाडु की राजनीति में द्रविण परंपरा के वाहक रह चुके हैं. राजनेता होने के साथ-साथ वहां के स्थानीय लोगों में करुणानिधि के प्रति एक जननेता का भी भाव था. जिस तरह द्रविड़ों के प्रति आपार संवेदना रखने वाले राजनीतिक शख्सियत के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को ब्राह्मणवादी परंपरा के विरुद्ध, जलाए जाने के बजाए दफनाने की परंपरा चली आई है, उसी तरह एम करुणानिधि के पार्थिव शरीर को भी दफनाया जाएगा.