Kumaraswamy Brahmin Politics: कर्नाटक में बीजेपी के हिंदुत्व को काउंटर करने के लिए अब कुमारस्वामी पेशवा ब्राह्मणों के पीछे पड़ गए हैं. जनता दल (सेक्युलर) के नेता ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि अगर 2023 के चुनाव में बीजेपी वापस सत्ता में लौटती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अगले मुख्यमंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के नाम को अंतिम रूप दे रहा है.


उन्होंने कहा, "वो (जोशी) ब्राह्मणों के एक वर्ग से ताल्लुक रखते हैं जो पेशवाओं का हिस्सा हैं जिन्होंने श्रृंगेरी मठ को ध्वस्त कर दिया था. ये वो तबका है जिसने महात्मा गांधी की हत्या की थी. वो कर्नाटक के पुराने हिस्सों (दक्षिणी जिलों) के ब्राह्मणों की तरह नहीं हैं. उन्हें देशस्थ ब्राह्मण कहा जाता है और वो (जोशी) उस समूह के हैं."


कुमारस्वामी ने अपने बयान में आगे कहा, "... हमारे पक्ष (दक्षिणी जिलों) के ब्राह्मण कहते हैं - सर्वे जानो सुखिनो भवन्तु." कुमारस्वामी ने अपने इस बयान से कर्नाटक की राजनीति में नया भूचाल ला दिया. कहीं न कहीं वो अपने बयान में उत्तर कर्नाटक के ब्राह्मणों को "विभाजनकारी" और दक्षिण कर्नाटक ब्राह्मणों को "शांत" बता रहे हैं. JDS नेता के बयान पर बीजेपी और प्रमुख ब्राह्मण मठों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.


पेशवा ब्राह्मणों के वंश से हैं जोशी 


कुमारस्वामी का जोशी पर हमला इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि जोशी पेशवा ब्राह्मणों के वंश से हैं, जिन्होंने श्रृंगेरी मठ को नष्ट कर दिया था. वरिष्ठ पत्रकार और गौड़ा के जीवनी लेखक सुगाता श्रीनिवासराजू ने द प्रिंट को बताया, "उन्होंने अपने दक्षिण कर्नाटक क्षेत्र की रक्षा के लिए बहुत समझदारी से इसका इस्तेमाल किया... वो ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण (बहस) का उपयोग कर रहे थे. पेशवा ब्राह्मण थे और उन लोगों ने (एक तरह से) इलाके में तबाही मचाई और वो (कुमारस्वामी) कह रहे हैं कि मूल रूप से आप एक बाहरी व्यक्ति हैं, जिन्होंने हमारे स्थान (मंदिर) को नष्ट कर दिया है."


राजनीतिक प्रभाव


कोई आधिकारिक डेटा तो नहीं है, लेकिन माना जाता है कि ब्राह्मण राज्य की अनुमानित 70 मिलियन आबादी का लगभग 3-4 प्रतिशत हैं. यह लिंगायतों की अनुमानित जनसंख्या लगभग 17 प्रतिशत, वोक्कालिगा की लगभग 14 प्रतिशत और कुरुबा की 10 प्रतिशत की आबादी की तुलना में बहुत कम है. हालांकि, अधिकांश वोक्कालिगा और कई अन्य समुदाय धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए ब्राह्मणों पर निर्भर हैं. 


ब्राह्मण नौकरशाही और अन्य निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में कुछ सर्वोच्च पदों पर काबिज हैं और इस समुदाय से दो मुख्यमंत्री (रामकृष्ण हेगड़े और आर गुंडू राव) रहे हैं. यहां तक ​​कि ब्राह्मण मठ भी प्रभावशाली हैं, क्योंकि सैकड़ों राज्य और राष्ट्रीय नेता अपने मठाधीशों से मिलने के लिए कतार में खड़े रहते हैं.


पेजावारा मठ के प्रमुख पुजारी श्री विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने कहा, "कोई कुछ भी कह सकता है, लेकिन क्या इसका समर्थन करने के लिए कोई सबूत या इतिहास है? अगर यह (मुख्यमंत्री परिवर्तन) होता है, तो उन्हें (ब्राह्मणों को) क्यों नहीं माना जाना चाहिए? क्या वे (ब्राह्मण) भारत के नागरिक नहीं हैं?"


शिफ्ट होते चले गए ब्राह्मण मतदाता


विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मण बहुसंख्यक नहीं हैं. कांग्रेस नेता और देवेगौड़ा के पूर्व सहयोगी ने द प्रिंट से कहा, "एक समय में, वे (ब्राह्मण) सभी कांग्रेस मतदाता थे, फिर लैंड रिफॉर्म्स और छुआछूत पर प्रतिबंध लगाने जैसी कांग्रेस की प्रगतिशील नीतियों के कारण वो जनता परिवार की ओर शिफ्ट हो गए, जिन्होंने भूमि-स्वामी वोक्कालिगा, लिंगायत और ब्राह्मणों को प्रभावित किया." 


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