मुंबई:  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री मंगलवार को जब राज्य की जनता के सामने आए तो उन्होंने ऑक्सीजन की कमी को लेकर गहरी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई कम पड़ रही है. सीएम ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी से मदद की अपील की और कहा कि इसके लिए वायुसेना की मदद ली जाए.


उद्धव ठाकरे ने कहा, ''पीएम हमें आज की परिस्थिति में ऑक्सीजन की जरूरत होगी. दूसरे राज्यो से ऑक्सीजन राज्य में आने की इजाजत चाहिए. बहुत दूर राज्यों से ऑक्सीजन आने में समय लगेगा. पीएम से निवेदन करता हूं कि रास्ते से ऑक्सीजन में समय लगेगा. अगर एयरफोर्स की मदद से ऑक्सीजन आ सकता है तो उसकी इजाजत दे.''


अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सीजन की इस कमी को लेकर देखते हुए केंद्र सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. केंद्र सरकार ने स्टील प्लांट्स और तेल रिफाइनरी उद्योग से ऑक्सीजन की सप्लाई पूरे करने के लिए आगे आने को कहा है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि इन उद्योगों का उत्पादन प्रभावित किए बगैर कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जा सके.


ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट सबसे बड़ी समस्या
महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने में सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्ट की है. ऑक्सीजन को सड़क के रास्ते देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाना आसान काम नहीं है. जैसे ओडिशा में कुछ स्टील प्लांट्स अतिरिक्त ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए तैयार हैं  और इससे महाराष्ट्र की मदद भी हो सकती है. लेकिन इसे आसानी से जल्द से जल्द महाराष्ट्र पहुंचाना टेढ़ी खीर है.  फिलहाल इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि जहां ऑक्सीजन ज्यादा मात्रा में है उसे मेडिकल क्षेत्र के लिए भेजा जाए.


देश मौजूद ऑक्सीजन का आधार इस्तेमाल मेडिकल के लिए
केंद्र सरकार की ओर से रिक्लेस्ट के बाद उद्योग भी इस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं. ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली छोटी छोटी स्टोरी यूनिट्स से बात करके सप्लाई को जरूरत के हिसाब से बढ़ाने की बात कही जा रही है. इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक देश में इस वक्त 720 करोड़ मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है. इसका आधा इस्तेमाल मेडिकल के क्षेत्र में किया जा रहा है. 


कोरोना काल में महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कितनी कमी ?
महाराष्ट्र में 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. उत्पादन का 100 फीसदी यानि पूरे 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल हो रहा है.  जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में 35 हजार मरीजों को फिलहाल ऑक्सीजन की जरुरत है.