महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार (20 फरवरी 2024) को मराठा आरक्षण बिल पास हो गया. इसके बावजूद मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने अपने गृह जनपद जालना में भूख हड़ताल जारी रखी है. जारांगे ने प्रमुख मराठा समुदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने के कदम का स्वागत किया. हालांकि, उन्होंने संदेह जताया कि क्या विधेयक लीगल स्क्रूटनी में खरा उतरेगा.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था. महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में मराठा आरक्षण बिल पास हो गया. इसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में 10% आरक्षण देने का प्रावधान है. लेकिन यह आरक्षण की 50% सीमा के ऊपर है. इससे पहले 2018 में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने बैकवर्ड क्लासेस एक्ट 2018 पास किया था. लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की 50% सीमा का हवाला देते हुए इस पर रोक लगा दी थी.
भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे
मनोज जारांगे मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को कुनबी माना जाए. महाराष्ट्र में कुनबी को ओबीसी समुदाय का दर्जा प्राप्त है और उसी के मुताबिक आरक्षण मिलता है. मनोज जारांगे ने मंगलवार को कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि महाराष्ट्र सरकार इस समुदाय को 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत आरक्षण देती है, बल्कि यह आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत होना चाहिए, न कि अलग.
जारांगे ने कहा कि वह इंतजार करेंगे और देखेंगे कि क्या राज्य सरकार कुनबी मराठों के ‘खून के रिश्तों’ पर अपनी मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलती है या नहीं और उसके बाद अपने आंदोलन के बारे में फैसला करेंगे. उन्होंने कहा, सरकार ने जो आरक्षण दिया है, उसका लाभ सिर्फ 100-150 मराठाओं को मिलेगा. हमारे लोग आरक्षण से वंचित रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि वे 22 फरवरी को अपनी भूख हड़ताल को लेकर फैसला करेंगे.
इतना ही नहीं जारांगे पटेल ने अपने हाथ पर लगी ड्रिप को हटा दिया. उन्होंने डॉक्टरों से आगे का इलाज लेने से भी इनकार कर दिया. उधर, जारांगे की मागों पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि सरकार ने मनोज जारांगे और मराठा समुदाय की मांगों को पूरा कर दिया है.