गणतंत्र दिवस पर अबूधाबी के प्रिंस क्यों बने हैं हमारे मेहमान, जवाब यहां जानें
नई दिल्ली: आज गणतंत्र दिवस की परेड में शाही मेहमान अबू धाबी के राजकुमार और यूएई के डिप्टी सुप्रीम कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद होंगे. उम्मीद है कि इसके बाद भारत और संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों में और मजबूती आएगी.
गणतंत्र दिवस परेड में इस साल आपको यूएई यानि संयुक्त राज्य अमीरात की सैनिक टुकड़ी भी दिखेगी. आप सोचेंगें भारत के गणतंत्र दिवस में यूएई के सैन्य टुकड़ी क्यों. तो जवाब है ये कि हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर एक विदेशी मेहमान आता है. इस बार अबूधबी के प्रिंस हमारे मेहमान हैं. आपकी दिलचस्पी इनके बारे में होगी कि आखिर ये
कौन हैं अबूधबी के प्रिंस और इन्हें ही क्यों बनाया गया है मेहमान
इस साल गणतंत्र दिवस के शाही मेहमान शेख मोहम्मद अल बिन जायद को रेनबो शेख के नाम से भी जाना जाता है. वो यूं कि उन्होंने 1983 में मर्सिडीज की सात रंगों की 7 कारें एक ही दिन बुक की थीं. दुनियाभर में उनकी कारों की गैलरी खासी प्रसिद्ध है. दुनिया की नयी पुरानी ऐसी कौन सी गाड़ी है, जो इनके संग्रह में नहीं हैं. 400 से 500 ऐसी ऐसी कारें जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते.
अरबों रुपए की कार के मालिक प्रिंस शेख मोहम्मद की कुल संपत्ति एक लाख 47 हजार करोड़ रुपये है.
परेड में शामिल होने आए क्राउम प्रिंस के स्वागत के लिए मोदी एयरपोर्ट पहुंचे तो चार बार हाथ मिलाया और तीन बार गले लगे. पिछले साल भी रिश्ते में ऐसी ही गर्मजोशी दिखी थी.
कुछ मुलाकातों ने मोदी और प्रिंस को दोस्त बना दिया है और पाकिस्तान से खराब रिश्ते के बीच यूएई से बेहतर संबंध से एक तीर से दो निशाने साधे जा रहे हैं. चीन और अमेरिका के बाद यूएई तीसरा ऐसा देश है, जिससे भारत के बड़े कारोबारी रिश्ते हैं.
प्रिंस जायद के साथ भारत ने 14 अहम समझौते किए
सउदी अरब की तरह संयुक्त अरब अमीरात पाकिस्तान का सहयोगी रहा है, लेकिन सुरक्षा और आतंकवाद के मसले पर दोनों देश अब भारत के करीब आ चुके हैं. दोनों देशों के बीच डिफेंस, सिक्योरिटी, आईटी सर्विस और हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़े 14 समझौते हुए हैं. करीब पांच लाख करोड़ रुपए के निवेश पर भी जल्द ही मुहर लग सकती है.
खाड़ी देशों को ऑयल रिजर्व तैयार करने की इजाजत
इन 14 समझौतों में खाड़ी देशों को ऑयल रिजर्व तैयार करने की इजाजत देना अहम है. तीन साल से तेल स्टोरेज फैसलिटी का एक हिस्सा अबू धाबी को लीज पर देने की बातचीत शुरू हुई थी. इस डील से भारत के पास इमरजेंसी में कच्चा तेल स्टोर करने का अधिकार होगा, जबकि अबू धाबी डिमांड पूरी करने के लिए यहीं से तेल सप्लाई करेगा.
हालांकि, यूएई ने भारत में कंपनियों के निवेश से जुड़े पुराने मसले भी उठाए. टेलिकॉम में एटिसैलट, रियल एस्टेट में एम्मार, मरीन टर्मिनल डेवलपर में डीपी वर्ल्ड का निवेश फंसा हुआ है. विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि ये मसले तेजी से सुलझाए जा रहे हैं और भविष्य में निवेश को सुरक्षा दिलाने के उपाय तलाशे जा रहे हैं.
भारत के लिए तेल के बड़े स्त्रोत का काम करता है यूएई
भारत अपना ब्रह्मोस मिसाइल भी यूएई को देने की तैयारी कर रहा है. रणनीतिक भागीदारी के बीच यूएई ने मेक इन इंडिया के प्रोडक्ट्स में भी रुचि दिखाई है. अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए भी प्रिंस ने जमीन दी है. यूएई में 26 लाख भारतीय रहते हैं. इसलिए भी यहां से राजनयिक रिश्ते अच्छे रखना बहुत जरूरी है. वैसे भारत में जिस पेट्रोल डीजल से यातायात के वाहन चलते हैं वो तेल की बड़ी मात्रा में यूएई से आती है.
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