अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी होने को लेकर बवाल मचा हुआ है. हंगामा इस बात को लेकर हो रहा है कि आखिर देश का बंटवारा करवाने वाले जिन्ना की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में क्यों लगी हुई है. इस सवाल का जवाब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास से मिलता है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का पुराना नाम मोहम्मद एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज था जिसकी स्थापना साल 1877 में हुई थी सय्यद मोहम्मद खान ने की थी, सय्यद मोहम्मद खान की 1897 में मृत्यु हो गयी लेकिन उसी दौरान से मोहम्मद एंग्लो कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्ज़ा देने की मांग उठने लगी थी.
साल 1920 में कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया और इसी साल महात्मा गांधी को सबसे पहली बार छात्र संघ की आजीवन मानक सदस्यता से नवाजा गया. इसी कड़ी में साल 1931 में सी वी रमन, 1934 में आगा खान, 1934 में ही अब्दुल गफ्फार खान, 1936 में हैदराबाद के निजाम, और 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना को आजीवन मानक उपाधि दी गयी और इसी तरह से 2015 तक कुल 146 लोगों को इस तरह की मानक सदस्यता दी गयी.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब 146 लोगों को सम्मान मिला था तस्वीर 30 लोगों की ही क्यों है? इस मसले पर ABP News से छात्रसंघ अध्यक्ष से जवाब मांगा उन्होंने बताया कि यह फैसला छात्रों की जनरल बॉडी मीटिंग में लिया जाता है और उस फैसले पर जब एग्जीक्यूटिव कमेटी मुहर लगाती है उसके बाद में ही किसी की तस्वीर छात्र संघ के हॉल में लगती है.
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वहीं एएमयू प्रशासन ने कहा कि आखिर वह किस हक से छात्रसंघ से जिन्ना की फोटो हटाने को कहें क्योंकि देश में ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है जिसके तहत जिन्ना की फोटो कहीं नहीं लग सकती. जिन्ना की फोटो पर को लेकर चल रहा विवाद फिलहाल इतनी आसानी से खत्म होता नहीं दिख रहा क्योंकि इस मौके पर छात्र संघ का कहना है कि वह सिर्फ इतिहास को सहेज कर रखे हुए हैं.
छात्र संघ के एक नेता ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने भगत सिंह का मुकदमा लड़ा था जिसके बाद में उनको छात्र संघ के आजीवन सदस्य की मानक सदस्यता प्रदान की गई थी और ऐसे में जिन्ना की तस्वीर को हटाने का कोई कारण नहीं दिखता. दूसरी तरफ जो लोग जिन्ना की तस्वीर का विरोध कर रहे हैं उनका कहना है जिन्ना की वजह से देश के दो टुकड़े हुए थे लिहाज़ा जिन्ना की तस्वीर को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
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